वैसे तो मौत की सजा किसी भी कीमत पर किसी देश के लिए अच्छी नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी कुछ जुर्म और मुजरिम ऐसे होते है जिन्हें अपने कारनामों के कारण बक्शा नहीं जा सकता. फांसी के पहले जेल के कुछ नियमों होते है, जो शायद ही कम लोग जानते होंगे, आइये आपको बताते है जेल मैन्युअल में लिखी कुछ बातें...
1.जानकारी के अनुसार जेल के सभी काम सूर्योदय के बाद ही शुरू होते है. इसलिए फांसी की सजा सूर्योदय से पहले ही दी जाती है ताकि जेल के बाकी कामों में बाधा न आए.
2.मुजरिम को फांसी देने के कुछ मिनटों बाद डॉक्टरों की रक टीम, फांसी पर चढ़ने वाले शख्स की मौत की पुष्टि करती है उसके बाद ही उसे फंदे से निचे उतारा जाता है.
3.किसी भी शख्स को फांसी देने से पहले हमेशा उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है. लेकिन अंतिम इच्छा सिर्फ जेल के मैन्युअल के हिसाब से ही पूरी की जाती है, उसमें शख्स के परिजन से मिलना, किसी ग्रन्थ की किताब पढ़ना कुछ खाना आदि शामिल होता है.
4.फांसी देने से पहले हमेशा जल्लाद उस शख्स से माफ़ी मांगता है जिसे फांसी दी जा रही है. अगर मुजरिम मुसलमान है तो उसे सलाम किया जाता है और अगर हिन्दू है तो उसे राम-राम कहा जाता है.
5.फांसी देते वक्त वहां पर जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और जल्लाद मौजूद रहते है. इनके बिना फांसी नही दी जा सकती.
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