प्राचीन काल में लोग भोजन करने से पहले और बाद में मंत्र बोला करते थे लेकिन आजकल ये परंपरा समाप्त सी हो गई है। कुछ बुजुर्ग ही इस नियम का पालन करते हैं। शास्त्रों के अनुसार अन्न में मां अन्नपूर्णा का वास माना गया है।
भोजन करने से पहले मां अन्नपूर्णा को प्रणाम किया जाता है ताकि जो भोजन करने जा रहे हैं, वह स्वास्थ्य के लिए हितकर हो और भोजन करने के बाद पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए मां अन्नपूर्णा को धन्यवाद दिया जाता है।
भोजन से पहले मंत्र बोलें :-
ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।
ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिखां देहि च पार्वति।।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।
भोजन के बाद ये मंत्र बोलें :-
अगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम।
भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं ।।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।
हृदय कब सुखी होता है जब प्रभु आ विराजते है