दिल्ली: राजनीति हर किसी को लुभाती है,कलाकार, साहित्यकार, अभिनेता, खिलाडी सभी इसके रंग में कही न कही रंग ही जाते है और ऐसे में कानून से जुड़े लोग भी इससे अछूते नहीं है. कई वकील राजनीति में पहले से ही आ चुके है. मगर इन दिनों चर्चा हैं सुप्रीम कोर्ट के एक जज की सेवामुक्ति के बाद लोकसभा का चुनाव लड़ते हुए राजनीति के मैदान में कदम रखने की. यह जज इस साल जून में सेवामुक्त हो रहे है और उनका कहना है कि राजनीतिक सिस्टम को साफ करके ही न्यायपालिका को बढिय़ा बनाया जा सकता है.
बता दे कि सेवामुक्त जजों पर चुनाव लडऩे के लिए कोई रोक नहीं वैसे भी यदि सुप्रीम कोर्ट का कोई जज जो बाद में चीफ जस्टिस बना हो और रिटायर्ड होने पर उसे राज्यसभा का सदस्य बना दिया जाए तथा एक अन्य सेवामुक्त चीफ जस्टिस को केरल का राज्यपाल बना दिया जाए तो फिर सुप्रीम कोर्ट का कोई जज रिटायर्ड होने के बाद लोकसभा का चुनाव क्यों नहीं लड़ सकता? .
फ़िलहाल उक्त जज ने साडी तैयारी कर ली है और उनका अगले वर्ष होने वाले लोकसभा के चुनावों दौरान अपने गृह राज्य से चुनाव लड़ना तय है, उन्होंने अपने चुनाव लडऩे वाले लोकसभा क्षेत्र का चुनाव कर लिया है और सियासत में आने से पहले ही इलाके में पोस्टर व कट आऊट भी लगा दिए है. साथ ही एक सियासी पार्टी के राजनीतिक जनरल सचिव ने जज से बातचीत भी की है और इस सब गतिविधियों का सञ्चालन जज की पत्नी खुद कर रही है.
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