नई दिल्ली : सरकार की आधार योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी योजनाओं और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन रखने का सुझाव दिया. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पैरवी की.
उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ जिसमें जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल हैं,ने कहा कि संविधान सरकार को सर्विलांस की अनुमति नहीं देता क्योंकि तकनीकी रूप से ही प्रत्येक लेनदेन, व्यक्ति की प्रोफाइल का पता लगाया जा सकता है ,विश्व की कोई प्रणाली सुरक्षित नहीं है. मुख्य मुद्दा डाटा से जुटाई गई सूचनाओं के इस्तेमाल या दुरुपयोग का है. पीठ ने यह भी कहा, कि हम आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग के खतरों तथा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दौर में रह रहे हैं. इस लिए इनके बीच संतुलन बनाना जरूरी है.
बता दें कि पूर्व जज जस्टिस केएस पुट्टास्वामी, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय, शांता सिन्हा और माकपा नेता वीएस अच्युतानंदन जैसे याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पैरवी कर कहा कि आधार से नागरिकों की निगरानी की जाएगी. आधार के सभी आंकड़े सेंट्रल आइडेंटिटीज डाटा रिपोजिटरी (सीआईडीआर) में जमा रहेंगे. जिसे सरकार आजीवन जुटाए रख सकती है. संविधान सरकार को किसी व्यक्ति की निगरानी का अधिकार नहीं देता.
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