नई दिल्ली: 1895 में निजता को लेकर उठाये गए कड़े कदम पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है, कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना है. इस फैसला नौ जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से लिया है. इस फैसले को कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 21 के आधार पर लिया है.
चलिए जानते है क्या है आर्टिकल 21
संविधान का ये आर्टिकल देश के हर नागरिक को अपने जीवन जीने की आजादी और व्यक्तिगत आजादी के संरक्षण की व्याख्या करता है. इसमें यह भी कहा गया है कि, किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता.
राइट टू प्राइवेसी
बता दे वैसे तो इस आर्टिकल में 'निजता' के अधिकार की व्याख्या नहीं की गई है, और ना ही इसका उल्लेख किया गया है, लेकिन आर्टिकल 21 में शामिल 'जीवन' शब्द की व्याख्या में इस पहलू को भी शामिल किया गया है.
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