दिल्ली: ताजमहल के संरक्षण के लिए जिम्मेदार केंद्र सरकार और उसकी सभी संस्थाओं को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र और यूपी सरकार दोनों को लताड़ते हुए कहा अगर आप मुगलकाल की इस ऐतिहासिक इमारत को सहेज नहीं सकते, तो इसे ढहा दीजिए. शीर्ष अदालत ने कहा, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ताजमहल की सुरक्षा और उसके संरक्षण को लेकर विजन डॉक्यूमेंट पेश करने में विफल रही है. कोर्ट ने कहा इस महत्वपूर्ण स्मारक के संरक्षण को लेकर केंद्र की तरफ से उठाए गए कदमों और आगे के लिए जरूरी कार्रवाई के बारे में विस्तृत जानकारी जल्द पेश की जाये या इस स्मारक को ढहा दिया जाये.
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा कि ताजमहल के संरक्षण के बारे में संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि ताजमहल के आसपास उद्योगों को बढ़ाने के लिए अनुमति क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट ने पेरिस की ऐफल टॉवर का उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार वहां से सीखे कि एतिहासिक इमारतों को कैसे सहेजा जाता है.
मामले पर अपना जवाब पेश करते हुए केंद्र ने पीठ को कहा कि आईआईटी-कानपुर ताजमहल और उसके आसपास वायु प्रदूषण के स्तर का आकलन कर रहा है और चार महीने में अपनी रिपोर्ट देगा. केंद्र ने यह भी बताया कि ताजमहल और उसके इर्दगिर्द प्रदूषण के स्रोत का पता एक विशेष समिति लगा रही है जो ताज के संरक्षण के उपाय सुझाएगी. मामले की अगली सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई की तारीख तय की है.
ताज़ में नमाज़ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
पेट्रोलियम मंत्रालय क्या खुद को भगवान समझता है-SC
मुस्लिम महिलाओं में खतना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार