नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी सुनवाई की, इस दौरान 5 जजेस की खंडपीठ ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनी। इस मसले की सुनवाई प्रतिदिन हो रही है। न्यायालय अपनी सुनवाई के दौरान कह चुका है कि वह सुनवाई कर यह जानेगा कि क्या तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है या नहीं और तीन तलाक, बहुविवाह, हलाला इस्लाम धर्म का अभिन्न अंग है या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी सुनवाई के दौरान एआईएमपीएलबी से सवाल किए और कहा कि आखिर क्या तीन तलाक में महिला को यह अधिकार दिया जा सकता है कि वह त्वरित तरह से दिए जाने वाले तलाक को न माने।
न्यायालय ने कहा कि तीन तलाक के बाद भी शादी नहीं टूट सकती ऐसा अधिकार महिला को दिया जा सकता है क्या। क्या इसे निकाहनामे में शामिल किया जा सकता है। इस मामले में आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने पूछे गए सवाल पर कहा कि सभी काज़ी लाॅ बोर्ड की सलाह को मान लें यह आवश्यक नहीं है। वे हमारे सुझाव को मान सकते हैं। पर्सनल लाॅ बोर्ड की ओर से युसुफ हातिम ने अपना जवाब दिया था। हालांकि लाॅ बोर्ड ने ही न्यायालय को 14 अप्रैल 2017 में यह बताया था कि ट्रिपल तलाक एक पाप है और यदि कोई भी ऐसा करता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि न्यायालय में चल रही कार्रवाई के बीच सरकार ने कहा था कि यदि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक और तलाक के अन्य तरीकों को निरस्त कर दिया जाता है तो फिर मुस्लिम समाज में शादी और तलाक के नियम हेतु कानून लाया जाएगा। दूसरी ओर मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड की ओर से पक्ष रखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि यदि वर्षों पूर्व भगवान राम का जन्म अयोध्या में होना आस्था का विषय है तो फिर तीन तलाक भी आस्था का मुद्दा क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्सनल लाॅ परिवार और संविधान के अंतर्गत हैं।
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ट्रिपल तलाक़ पर आज फिर सुनवाई करेगा SC