नई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत संवेदनशील मामलों की सुनवाई के लिए पीठ के गठन को लेकर भारत के प्रधान न्यायाधीश के अधिकार को चुनौती देने वाली पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की याचिका पर शुक्रवार को परीक्षण के लिए तैयार हो गई है.यह सुनवाई 27 अप्रैल को होगी. अदालत ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ऐ सहयोग करने का आग्रह किया है.
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ यह विचार करेगी कि संवेदनशील मामलों में पीठ का गठन चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कोलेजियम द्वारा किया जाना चाहिए या नहीं? लेकिन यहां एक पेंच यह भी फंसा है कि यह कौन तय करेगा कि कौन का मामला संवेदनशील या गंभीर है या और कौन सा नहीं.हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 अप्रैल के फैसले में यह खुलासा कर दिया है कि चीफ जस्टिस ही मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं , इसलिए वे ही सुप्रीम हैं.
बता दें कि संवेदनशील मामलों की सुनवाई के लिए पीठ के गठन के भारत के प्रधान न्यायाधीश के अधिकार को चुनौती देते हुए पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने याचिका दाखिल की थी. बता दें कि इस मामले की सुनवाई के दौरान दुष्यंत दवे ने पीठों के गठन को लेकर गत 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस का उल्लेख किया, तो पीठ ने उन्हें रोकते हुए कहा कि इस मसले को यहां न उठाएं. हम इस तरह की दलीलें नहीं सुनेंगे.
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