देश की सर्वोच्च अदालत की ओर से अजा /जजा वर्ग की ओर से की जाने वाली झूठी शिकायतों से त्रस्त सामान्य वर्ग के लिए राहत भरा पैगाम आदेश के रूप में आया है.आरक्षित वर्ग के इन कानूनों के गलत इस्तेमाल को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) एक्ट के प्रावधानों में बदलाव किया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1 9 8 9 (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अधिनियम) के प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के निर्देश जारी किए हैं. आपको बता दें कि न्यायमूर्ति ए के गोएल और यू यू ललित की दो सदस्यीय की पीठ इन प्रावधानों के दुरूपयोग के प्रक्रियागत सुरक्षा उपाय का परीक्षण कर रही थी. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ डॉ. सुभाष काशीनाथ महाजन द्वारा दायर की गई अपील में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश जारी किए हैं.कोर्ट के दिशा-निर्देश (2) और (3) का कोई भी उल्लंघन अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ-साथ अवमानना के लिए आधार पर होगा. पीठ ने निर्देश दिया है कि अधिकारी को बिना कानून के तहत अपराध करने के आरोप पर मुकदमा चलाया जा सकता है.
इस मामले में शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज हुए मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. उच्चतम न्यायालय ने गिरफ्तारी से पहले प्राथमिक जांच-पड़ताल के आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से पहले मिलने वाली जमानत की रुकावट को भी खत्म कर दिया है. ऐसे में दुर्भावना के तहत दर्ज कराए गए मामलों में अब अग्रिम जमानत भी मिल सकेगी. सर्वोच्च अदालत के इस निर्णय से इस अधिनियम के दुरूपयोग पर रोक लगेगी.
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