विवाह व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है जिसमे दो लोग जीवन भर के लिए एक अटूट बंधन में बंध जाते है. जिससे व्यक्ति के जीवन में कई नए रिश्तों का जन्म होता है हिन्दू धर्म में विवाह को बहुत ही ख़ास माना जाता है इसी कारण से विवाह के पूर्व बहुत सी बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है.
इन सभी बातों में सबसे महत्वपूर्ण जन्मपत्री में गुणों का मिलना व विवाह का योग माना जाता है जिसके लिए व्यक्ति किसी पंडित कि सहायता लेता है वह पंडित ही होता है जो विवाह का शुभ मुहूर्त, तारीख, योग व वर-वधु के गुणों का मिलान करता है. जिसके लिए वह वर-वधु दोनों की कुंडली का निरिक्षण करता है. आज हम आपको कुछ ऐसी ही बातें बताएँगे जिसे देखकर पंडित विवाह का योग व वर-वधु के गुणों के विषय में जानकारी देता है.
1. जिस चन्द्र नक्षत्र में लड़के व लड़की का जन्म होता है उस नक्षत्र के चरण में आने वाले अक्षर को भी ध्यान में रखकर विवाह की तारीख का ज्ञान प्राप्त किया जाता है.
2. वर-वधु के विवाह से पूर्व सर्वप्रथम उनकी कुंडली के माध्यम से गुणों का मिलान किया जाता है इसके पश्चात ही विवाह की तारीख निकाली जाती है.
3. विवाह का शुभ मुहूर्त जानने के लिए वर और वधु की राशियों में विवाह की एक सामान तिथि को विवाह का शुभ मुहूर्त माना जाता है तथा इन्ही में से एक तारीख को चुनकर विवाह निश्चित किया जाता है जो शुभ व ग्राह्म माना जाता है.
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