कहते है दुनिया में कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है. काम को मुश्किल बनाता है हमारा दिमाग और दिमाग की इस उपज को पैदा करते है वो लोग जो हमारे आलोचक होते है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते जो आलोचकों की बात को दरकिनार कर, कर जाते है ऐसे काम जो मिसाल बन जाते है. ऐसे लोगों के कामों को इतिहास में हमेशा याद किया जाता है आइये बताते है एक ऐसी ही कहानी जिसमें एक चाय वाला बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा खुद उठाता है.
हम बात कर रहे है उड़ीसा राज्य के शहर कटक में रहने वाले 60 वर्षीय डी. प्रकाश राव की, जो एक चाय की दुकान चलाते है. मात्र 600-700 एक दिन के कमाने वाले प्रकाश राव जब 6 साल के थे तो उनके पिता ने उनकी पढ़ाई छुड़ाकर काम पर लगा दिया. उस समय प्रकाश राव के घर में पैसों की भारी तंगी भी थी इसलिए घर की आर्थिक स्थिति को अच्छे से समझते हुए उन्होंने चाय का बिजनेस शुरू किया, पढ़ाई के जूनून को हमेशा दिल में रखने वाला प्रकाश राव आज चाय की दूकान चलाते हुए गरीब बच्चों को पढ़ाता भी है.
मीडिया से बात करते हुए प्रकाश राव बताते है कि वो कभी नहीं चाहते कि पैसे की तंगी की वजह से उनके साथ जो हुआ वो इन बच्चों के साथ भी हो. एक छोटे से कमरे से कुछ बच्चों के साथ शुरू किए हुए उनके स्कुल में आज करीब 70-75 बच्चे भी है, प्रकाश राव बच्चों को खाना भी खिलाते है यही कारण है कि उनके स्कुल में बच्चों की संख्या बढ़ी भी है. गरीब बच्चों के लिए आज की सबसे बड़ी जरूरत अगर कुछ है तो वो है रोटी उसके बाद पढ़ाई, अगर किसी के पेट में दो समय का खाना ही नहीं है तो पेट दर्द के साथ वो पढ़ाई कैसे करेगा. बता दें, हाल ही में नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' रेडियो पर भी डी. प्रकाश राव का जिक्र किया था.
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