दिल्ली :एक साथ तीन तलाक को गैरजमानती अपराध बनाने संबंधी बिल लोकसभा में पारित कराने के बाद भाजपा सियासी मोर्चे पर निश्चिंत है. लेकिन आज इस बिल पर राजयसभा में अग्निपरीक्षा होना है बल्कि नरम हिंदुत्व की राह पर चल रही कांग्रेस में बनी असमंजस की स्थिति के बीच पार्टी राज्यसभा में इस बिल को पारित कराने को लेकर राहत की सांस ले रही है
वहीँ पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि बिल के राज्यसभा में लटकने या पारित होने जैसी दोनों स्थितियों में भाजपा सियासी फायदे में रहेगी है बिल पारित न होने की स्थिति में पार्टी विपक्ष पर एक बड़े सुधार की राह में रोड़ा अटकाने का आरोप लगाएगी और वहीँ पारित होने पर कानून बनाने का उसे स्वाभाविक श्रेय मिलेगा.
कांग्रेस की इस बिल के कुछ प्रावधानों पर आपत्तियां है, मगर वह इस पर स्पष्ट राजनीतिक लाइन तय नहीं कर पा रही है. सीधे बिल के विरोध में उतरने पर उसके नरम हिंदुत्व की छवि पर उल्टा असर पड़ेगा, जबकि चुप्पी साधने पर सुधार का सारा श्रेय भाजपा ले जाएगी. फिलहाल पार्टी में एक साथ तीन तलाक को गैरजमानती के बदले जमानती अपराध बनाने की मांग करने पर मंथन हो रहा है. पार्टी चाहती है कि इस बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजा जाय. ऐसे में उसे अपनी रणनीति पर सोचने के लिए समय मिलेगा.
सरकार के एक मंत्री के मुताबिक बिल मंगलवार या बुधवार को पेश हो सकता है. अपनी ओर से रणनीति बनाने के बदले हमारी निगाहें विपक्ष की रणनीति पर है. विपक्ष में शामिल अलग-अलग दलों की अलग-अलग आपत्तियां हैं. सरकार यह देखना चाहती है कि क्या विपक्ष अपनी आपत्तियों पर सहमति बनाने में कामयाब होता है या नहीं.कामयाब न होने की स्थिति में सरकार बिल पारित कराने के लिए जरूरी 33 मतों का जुगाड़ करने का रास्ता तलाशेगी. अगर विपक्ष आपत्तियों पर एकमत हुआ तो सरकार बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजे जाने की मांग स्वीकार कर लेगी.
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