उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा प्रदेश के सरकारी इंटरमीडिएट कालेजों में 6214 गेस्ट टीचरों (अतिथि शिक्षकों) की नियुक्ति का रास्ता साफ करने वाले सरकारी आदेश को आज रद कर दिया गया. पूर्व में 25 मई, को शासन द्वारा इस आदेश को जारी किया गया था.
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि यह समानता के अधिकार का उल्लंघन है. हालांकि अदालत ने इस संबंध में राज्य सरकार को इस बात की अनुमति दे दी कि वह अगले साल 31 मार्च तक उनकी अस्थाई नियुक्तियों को जारी रख सकती है. लेकिन आदेश में यह साफ कर दिया गया है कि चालू वित्त वर्ष के बाद ऐसी नियुक्तियां नहीं की जा सकतीं.
उच्च न्यायालय का यह आदेश आलोक परमार तथा अन्य व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका पर आया है जिसमें अतिथि शिक्षकों को नियमित रिक्तियों पर नियुक्ति देने के सरकारी आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि इन 6214 अतिथि शिक्षकों को प्रदेश के उन लाखों बीएड प्रशिक्षित लाखों बेरोजगारों पर तरजीह दी जा रही है जो योग्य होने के साथ ही उपलब्ध भी हैं.