बकाएदारों को ढूँढने के लिए आईटी डिपार्टमेंट को मिला अधिकार
बकाएदारों को ढूँढने के लिए आईटी डिपार्टमेंट को मिला अधिकार
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टैक्स चोरी करने के लिए लोग कई तरकीबें आजमाते हैं, जिनमें से एक है अपना पता बदल लेना. पर अब ऐसे टैक्स चोरों की तरकीब फ़ेल करने के लिए सरकार ने रास्ता निकाल लिया है. सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए टैक्स डिफाल्टर्स को ढूंढने के लिए इंकम टैक्स (आई.टी.) डिपार्टमैंट को लोगों का बैंकिंग, इंश्योरैंस और म्यूनिसीपल कॉर्पोरेशन डाटाबेस का इस्तेमाल करने का अधिकार दे दिया है. इन डाटाबेस से पता लेकर अधिकारी, छिपे हुए टैक्स चोरों को ढूंढकर उनसे बकाया राशि प्राप्त कर पाएंगे.

अब तक टैक्स अथॉरिटीज, डिफाल्टर्स द्वारा परमानैंट अकाऊंट नंबर (पी.ए.एन.) में दिए गए पते पर केवल नोटिस भेज सकती थी, लेकिन कुछ टैक्स पेयर्स वास्तव में अपना पता बदल लेते हैं और इसकी जानकारी अपडेट नहीं कराते या फिर कुछ लोग टैक्स चोरी के मकसद से ऐसा करते थे इसलिए इस डाटाबेस से आई.टी. अथॉरिटीज को मदद नहीं मिल पा रही थी. लेकिन अब इस मुसीबत से निजाद मिल जाएगी.

एक वरिष्ठ टैक्स अधिकारी ने कहा कि “वित्त मंत्रालय से मंजूरी के बाद इंकम टैक्स नियम में बदलाव को हाल ही में नोटीफाई किया गया है. इससे टैक्स अधिकारियों को डिफाल्टर्स का पता बैंकिंग कम्पनी, को-ऑप्रेटिव बैंक, इंडिया पोस्ट, इंश्योरैंस कम्पनी, एग्रीकल्चर इंकम रिटर्न और फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन स्टेटमैंट से प्राप्त करने का अधिकार मिल गया है.” अधिकारी ने बताया कि “असैसी (व्यक्ति या कम्पनी) का पता गवर्नमैंट रिकॉर्ड या लोकल अथॉरिटी के डाटाबेस से भी प्राप्त किया जा सकता है.”

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