उपनिषद् में वर्णित है जीवन का आधार

उपनिषद् में वर्णित है जीवन का आधार
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इस देश के लोगों की और विश्व के हर धार्मिक व्यलक्ति की आत्मा, उपनिषद् को माना जाता है. उपनिषद् में वर्णित सभी बातें कभी-कभी हमारे अंतर्मन को कचौटती है पर उपनिषद में जीवन के आधार का विस्तृत वर्णन किया गया है साथ ही इसमें मनुष्य के सभी सवालों का जवाब भी विस्तारपूर्वक मिलता है. उपनिषद के अनुसार, संसार भक्ति का प्रत्यक्ष रूप है और भक्ति संसार का. इसे पड़ने पर यह दोनों आपको एक समान दिखाई दे रहे होंगे पर इनका जीवन में अलग ही महत्त्व है. 

उपनिषद् में आपको जीवन से बचने या जीवन पाप है या बदसूरत यह सब नहीं बताता है बल्कि ये तो व्यक्ति के जीवन में आनंद भर देता है.उपनिषद् आपको निरपेक्ष और सापेक्ष के बीच चयन करने को कहता है जो कि गलत है क्योंकि किसी भी एक चीज़ का चुनाव आपको अधूरा बना देगा और आप पूर्णता को नहीं कर पायेंगे.जब आप संपूर्ण रहते हैं तो आप स्वस्थ रहते हैं क्योंकि आप पूर्ण हैं.

उपनिषद में ध्यान करने पर जोर दिया जाता है. ध्यान का अर्थ है खुद को तराशना. यदि आप आंखें बंद करते हुए ध्यान करेंगे तो आप दिमाग की हर गतिविधियों को ध्यान के कार्य के साथ देख सकेंगें. हालांकि उपनिषद् आपको पूजा करना नहीं सिखाता है पर ध्यान के द्वारा भी अपने अंतर्मन में बसे प्रभु की भक्ति कर सकते है. 

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