मानव जीवन में किसी न किसी समस्या को लेकर बुरे समय का सामना करना पड़ता है. और व्यक्ति इन समस्याओं को लेकर बहुत परेशान सा रहता है. पर अब आप इन समस्याओं से घबराएं ना आने वाले बुरे समय को दूर भगाएं. इसी के चलते आप इस घटना के माध्यम से अपने जीवन को बदल सकते है. एक बार शाम के बक्त महात्मा बुद्ध एक शिला पर बैठे हुए थे। और वे डूबते सूर्य को बड़ी ही एकाग्रता के साथ देख रहे थे । तभी उनका एक शिष्य आया और बड़े ही गुस्से में बोला, 'गुरुजी 'रामजी' नाम के जमींदार ने मेरा अपमान किया है। मेरे साथ गलत शब्दों का प्रयोग किया, आप तुरंत चलें, आपको उसे उसकी मूर्खता का सबक सिखाना होगा।
तब महात्मा बुद्ध मुस्कुराते हुए कहने लगे 'प्रिय शिष्य तुम बौद्ध हो, सच्चे बौद्ध का अपमान करने की शक्ति किसी में नहीं होती। तुम इस प्रसंग को भुलाने की कोशिश करो। जब तुम उस व्यक्ति के द्वारा कहे गए कटु शब्दों को भुला दोगे तो फिर अपमान कहाँ रह जाएगा. तभी शिष्य ने कहा गुरु जी उस मुर्ख व्यक्ति ने आपके प्रति भी अप -शब्दों का प्रयोग किया है। आपको चलना ही होगा। आपको देखते ही वह अवश्य शर्मिंदा हो जाएगा और अपने किए की क्षमा मांगेगा। गुरु जी आप चलें तो मैं संतुष्ट हो जाउंगा। उसी वक्त महात्मा बुद्ध समझ गए कि शिष्य में प्रतिकार की भावना प्रबल हो उठी है। इस पर सदुपदेश का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कुछ विचार करते हुए वह बोले, अच्छा वत्स! यदि ऐसी बात है तो मैं अवश्य ही रामजी के पास चलूंगा, और उसे समझाने की पूरी कोशिश करूंगा। माहत्मा बुद्ध ने कहा, हम सुबह चलेंगे। अब सुबह तक रात की हुई प्रतिक्रिया और आवेश दिल और दिमाक में काफी शांत हो चुकी थी कहा ही गया है रात गई बात गई। दिन होते ही शिष्य अपने काम में लग गया और महात्मा बुद्ध अपनी साधना में। दूसरे दिन जब दोपहर होने पर भी शिष्य ने बुद्ध से कुछ न कहा तो बुद्ध ने स्वयं ही शिष्य से पूछा- 'प्रियवर! आज रामजी के पास चलोगे न ?
गुरु के पूंछते ही शिष्य ने कहा नहीं गुरु जी ! मैंने जब घटना पर फिर से विचार किया तो मुझे इस बात का आभास हुआ कि भूल मेरी ही थी। मुझे अपने कृत्य पर भारी पश्चाताप है। अब रामजी के पास चलने की कोई जरूरत नहीं। उस वक्त मेने बिना कुछ सोचे समझे आवेश और क्रोध में आकर अपने मन में गलत विचारों को सजोंय बैठा था. जो मेरी सबसे बड़ी मूर्खता थी. यदि में आपकी बातों को न मानता और उसी वक्त उससे झगड़नें चल पड़ता तो न जाने इसका कितना बुरा अंजाम होता और मेरे जीवन में कोई और बड़ी समस्या आ सकती थी. आपके मार्ग दर्शन से में धन्य हो गया जीवन में समस्या का समाधान विचारों के विमर्श से होता है.
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