आज हम एक ऐसे मंदिर की बात करेंगें, जो अपनी विशेषताओं के लिए देश भर में प्रसिद्ध है. यह मंदिर इंदौर में स्थित है, जो माता अन्नपूर्ण को समर्पित है. माना जाता है कि इंदौर शहर का यह सबसे प्राचीन मंदिर है, जो भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र है. यहां आकर सच्चे मन से मांगी गई सभी मनोकाना पूर्ण होती है.
इस मंदिर का निर्माण 9वीं सदी में भारतीय, आर्य और द्रविड़ स्थापत्य शैली के मिश्रण से किया गया था. जिसकी ऊंचाई 100 फ़ीट से भी अधिक है. इस मंदिर की तुलना स्थापत्य शैली के विश्व प्रसिद्ध मदुरै के मीनाक्षी मंदिर से की जाती है. इस मंदिर में विराजमान माता अन्नपूर्ण की प्रतिमा को प्रभानंद स्वामी 57 वर्ष पूर्व जयपुर से लेकर आये थे. जिसका निर्माण मार्बल के पत्थरों से किया गया है. माता अन्नपूर्णा की 3 फीट ऊंची मूर्ती की स्थापना 21 फरवरी 1959 को की गई थी. माता अन्नपूर्णा का यह मंदिर 2 एकड़ में फैला हुआ है.
इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता अन्नपूर्णा से अपनी मनोकामना पूर्ती की प्रार्थना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. अपनी अद्भुत कला व विशेषता के कारण दिन पे दिन भक्तों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है. इस मंदिर में बच्चों को धार्मिक शिक्षा व वेद वेदांग का ज्ञान देने के लिए अन्नपूर्णा विद्यालय का संचालन इस मंदिर के ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जो आस-पास के गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान करवाते हैं.
यह वही मंदिर है जहाँ दीवार से प्रकट हुए भगवान गणेश
दुनिया का ऐसा पहला मंदिर जहाँ पानी से जलता है दीपक