छत्तीसगढ़: देश में यदि बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना है, तो राज्यों में स्कूली शिक्षा के स्तर पर सुधार की आवश्यकता है. इस बात की महत्ता को समझते हुए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने स्कूली शिक्षा स्तर पर सुधारों की प्रकिया शुरू कर दी है. सरकार की इस नई योजना से स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी है.
बच्चों को स्कूल भेजने के लिए स्कूलों में इस साल मिशन 200 चलाने की तैयारी है. दरअसल सत्र 2017-18 में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के तहत 100 ग्राम पंचायतों ने एक टीम तैयार की थी. इन पंचायतों के अंतर्गत आने वाले करीब 150 स्कूलों में लगातार बच्चों की उपस्थिति की मॉनिटरिंग की गई थी. यह टीम हर महीने स्कूलों में तीन, सात और 15 तारीख को बच्चों की उपस्थिति जांचती थी. ये टीम यह भी ध्यान रखती थी कि अगर कोई बच्चा स्कूल नहीं आता है तो तुरंत बात को ग्राम पंचायत तक पहुंचा दिया जाता था. इसके बाद मिशन को बड़ी कामयाबी मिली और ड्रॉपआउट जीरो हो गया.
गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत यदि कोई बच्चा स्कूल में 21 दिन तक लगातार उपस्थित नहीं होता तो उसे ड्रॉपआउट कहा जाता है. कलेक्टर ने बच्चों का ड्रॉपआउट रोकने की जिम्मेदारी पंचायतों को दी थी. पंचायतों का यह काम था कि अशिक्षित पालकों को पढ़ाई का महत्व बताया जाए, ताकि वो बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करें. पंचायतों की इस सतर्कता से बच्चे स्कूल आने लगे और ड्रॉपआउट जीरो हो गया. अब नए सत्र से 200 स्कूलों में यह मिशन चलाया जाएगा.
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