एक दिन एक किसान बुद्ध के पास आया और बोला, 'महाराज, मैं एक साधारण किसान हूं। बीज बोकर, हल चला कर अनाज उत्पन्न करता हूं और तब उसे ग्रहण करता हूं । किंतु इससे मेरे मन को तसल्ली नहीं मिलती। मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूं जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न हों। आप मुझे मार्गदर्शन दीजिए जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न होने लगें।' बात सुनकर बुद्ध मुस्कराकर बोले, 'भले व्यक्ति, तुम्हे अमरत्व का फल तो अवश्य मिल सकता है किंतु इसके लिए तुम्हे खेत में बीज न बोकर अपने मन में बीज बोने होंगे?'
यह सुनकर किसान हैरानी से बोला, 'प्रभु, आप यह क्या कह रहे हैं? भला मन में बीज बोकर भी फल प्राप्त हो सकते हैं। 'बुद्ध बोले, 'बिल्कुल हो सकते हैं और इन बीजों से तुम्हे जो फल प्राप्त होंगे वे वाकई साधारण न होकर अद्भुत होंगे जो तुम्हारे जीवन को भी सफल बनाएंगे और तुम्हे नेकी की राह दिखाएंगे।' किसान ने कहा , 'प्रभु, तब तो मुझे अवश्य बताइए कि मैं मन में बीज कैसे बोऊं?'
बुद्ध बोले, 'तुम मन में विश्वास के बीज बोओ, विवेक का हल चलाओ, ज्ञान के जल से उसे सींचो और उसमें नम्रता का उर्वरक डालो। इससे तुम्हे अमरत्व का फल प्राप्त होगा। उसे खाकर तुम्हारे सारे दु:ख दूर हो जाएंगे और तुम्हे असीम शांति का अनुभव होगा।' बुद्ध से अमरत्व के फल की प्राप्ति की बात सुनकर किसान की आंखें खुल गईं। वह समझ गया कि अमरत्व का फल सद्विचारों के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
इन चीजों के दान से मिलती है समस्त परेशानीयों से मुक्ति
तो इसिलए मनुष्य पूरे 100 वर्ष तक जीवित नहीं रह पाता
रोती हुई दिख जाए अगर गाय तो हो जाओ सावधान
अब इंसान के दांत बताएंगे की वह कैसा है?