आंध्र की वायएसआर कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद आज टीडीपी द्वारा एनडीए से अलग होने की घोषणा किये जाने के बाद सबकी निगाहें भाजपा के वर्तमान हालतों पर जाकर टिक गई हैं , जो इन दिनों चुनाव में हार के साथ विपक्ष के चौतरफा हमले का शिकार हो रही है. अविश्वास प्रस्ताव भाजपा पर क्या क्या प्रभाव पड़ेगा इस पर एक नज़र डालते हैं.
आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में हुए लोक सभा उप चुनाव में भाजपा को लगातार हार का सामना करना पड़ा है और उसकी सीटें 283 से घटकर 274 पर आ गई है.जबकि दूसरी ओर भाजपा के सहयोगी दलों के रूप में शिवसेना से 18, एलजेपी से 6, अकाली दल से 4, आरएलएसपी से 3, जेडीयू से 2, अपना दल के 2, पीडीपी का एक, एसडीएफ का एक और एनपीपी का एक सांसद है. उधर, टीडीपी के लोकसभा में 16 और राज्यसभा में 6 कुल 22सांसद हैं.टीडीपी के एनडीए से अलग होने पर एनडीए के पास 328 में से सिर्फ 312 सदस्य रह जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार को लोक सभा में विशेष फर्क नहीं पड़ेगा,लेकिन राज्य सभा में किसी विधेयक को पास करवाने में परेशानी आ सकती है.भाजपा के पास संख्या बल की कमी है. यदि टीडीपी अविश्वास लाती है, तो इसके लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन जरुरी है.लोकसभा में एनडीए के 536 सदस्य हैं, जबकि सात सीटें खाली हैं. 2014 के बाद अब तक 19 उपचुनाव हो चुके हैं, जबकि तीन और सीटों पर उपचुनाव होना शेष है.इस हिसाब से सदन में सरकार अब भी अकेले बहुमत में है. लेकिन राज्य सभा में वह कमजोर है. शिव सेना भी आँखे दिखा रही है. ऐसे में सरकार के समक्ष अपने ही सहयोगी दलों से तालमेल न बैठाने का मामला दिन -ब- दिन गंभीर होता जा रहा है.
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