टीम इंडिया के स्पिनर यजुवेंद्र चहल मैच दर मैच भरोसेमंद होते जा रहे है. हरियाणा के जींद के जवान यजुवेंद्र चहल ने एक बार फिर दक्षिण अफ्रीकी टीम के दिग्गज बल्लेबाजों को अपने फिरकी पर नचाकर दुनिया में अपनी छाप छोड़ी है. यजुवेंद्र चहल का ये प्रदर्शन छोटे फॉर्मेट में लगातार जारी है. पिछले करीब एक साल से चहल सभी देशों के बल्लेबाजों की नाक में दम कर रखा है. यजुवेंद्र चहल मैच के ठीक पहले अपने माता-पिता से बात करते हैं और उनका अाशीर्वाद लेते हैं जानिए यजुवेंद्र चहल की कामयाबी के राज..
खाने में सबसे फेवरिट डिश राजमा-चावल और लहसुन की चटनी है.
खाने में दोनों टाइम वह लहसुन की चटनी जरूर खाते.
हरियाणा के ठेठ जाट भूमि जींद जिले के दरियावाल गांव के रहने वाले है यजुवेंद्र चहल.
यजुवेंद्र का कहना है कि उनकी कामयाबी माता-पिता के आशीर्वाद का ही प्रतिफल है.
यजुवेंद्र चहल की बचपन से ही क्रिकेटर बनने की जिद थी.
क्रिेकेट की प्रारंभिक ट्रेनिंग खेत में पिता द्वारा बनाई पिच पर हुई. 2011 तक यजुवेंद्र चहल ने खेत में ही प्रैक्टिस की.
यजुवेंद्र के पिता राज्य स्तर के शतरंज खिलाड़ी रह चुके हैं.
आईपीएल की नीलामी में छह करोड़ में बिके यजुवेंद्र चहल.
उनके पिता को उम्मीद है कि उनका बेटा अगले साल वर्ल्ड कप जरूर खेलेगा.
मां सुनीता का कहना है कि ईश्वर से बस इतनी प्रार्थना है कि बेटा इसी तरह कामयाबी की सीढियां चढ़ता रहे.
मां का कहना है यजुवेंद्र ने शादी के लिए दो साल की मोहलत मांग रखी है.
यजुवेंद्र आईपीएल में दिग्गजों सजी रॉयल चैलेंर्जस बेंगलुरु का हिस्सा है.
आइपीएल में पिछले साल मिले थे 30 लाख और इस बार मिले छह करोड़.
यजुवेंद्र चहल को आईपीएल 2011 में मुंबई इंडियंस ने दस लाख रुपये में खरीदा था.
वह 2012 और 2013 में भी इसी टीम के साथ रहे.
2014 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु का हिस्सा बने.
इस बार आरसीबी ने उसे छह करोड़ रुपये में खरीदा है.
वजन न बढ़े इस पर वे खास ध्यान देते हैं और काफी बैलेंस डाइट लेते हैं.
यजुवेंद्र की मां सुनीता देवी बताती हैं कि घर हो या बाहर सन्नी (यजुवेंद्र) कभी भी तली हुई चीजें नहीं खाता.
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