चीन के नए हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइलों से ना केवल अमेरिका को चुनौती मिलेगी बल्कि वे जापान और भारत में सैन्य लक्ष्यों को ज्यादा सटीकता से भेदने में भी सक्षम होंगे. अमेरिकी खुफिया सूत्रों के हवाले से 'द डिप्लोमैट' ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चीन ने पिछले साल के आखिर में नए हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन या एचजीवी के दो परीक्षण किए. एचजीवी को डीएफ-17 के नाम से जाना जाता है. परीक्षणों के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया कि इस सूचना के लिए रक्षा मंत्रालय से संपर्क करना चाहिए. एचजीवी मानवरहित, रॉकेट से प्रक्षेपित होने वाला यान है जो बेहद तेज रफ्तार के साथ पृथ्वी के वातावरण से निकल जाता है.
झोउ ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा, 'पारंपरिक बलिस्टिक मिसाइल की तुलना में एचजीवी को मार गिराना ज्यादा कठिन है। अमेरिका, जापान और भारत को चीन के एचजीवी टेक्नॉलजी में किए गए काम को लेकर चिंतित होने की जरूरत है क्योंकि यह लक्ष्य तक जल्दी से पहुंच जाता है। जापान के सैन्य अड्डे और भारत के परमाणु रिएक्टर्स इसके टारगेट हो सकते हैं।' मकाऊ के मिलिटरी ऑब्जर्वर ऐंटनी वॉन्ग डॉन्ग ने बताया कि एचजीवी का इस्तेमाल अमेरिका के ऐंटी मिसाइल सिस्टम THAAD को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है जिसे फिलहाल नॉर्थ कोरिया के हमले से बचने के लिए साउथ कोरिया में तैनात किया गया है।
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