बेंगलूरु : आम चोरी की घटनाएं तो आपने भी कई बार सुनी होंगी लेकिन क्या आपने सरकारी संपत्ति की चोरी के बारे में सुना है? जी हाँ आज हम जिस चोरी की बात करने जा रहे हैं वह कोई कीमती वास्तु तो नहीं है और न ही किसी जरूरत की लेकिन है वो सरकारी संपत्ति जिसे लोग शरारत के चलते चोरी कर लेते हैं या यूं कहें की याद के तौर पर अपने साथ ले जाते हैं. इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है हम बात कर रहे हैं मेट्रो रेल के टोकन के बारे में जिसे लोग मजाक में या शरारत के चलते अपने साथ ले जाते हैं.
टोकन चोरी की इस समस्या से बेंगलूरु मेट्रो लगातार जूझ रही है और साल 2011 से अब तक 10,739 यात्रियों के टोकन गुम हो गए या यूँ कहिये कि उनके द्वारा मेट्रो सफर की याद के तौर पर घर ले जाए गए. इस तरह से बेंगलूरु मेट्रों को 35 लाख रूपये की हानि उठानी पड़ी है. टोकन खो जाने या चोरी कर घर ले जाने का खुलासा RTI की एक रिपोर्ट में हुआ. हालाँकि टोकन गुम हो जाने वाला यह मामल कोई नया नहीं है या सिर्फ बेंगलूरु को ही इसका खामियाजा नहीं भुगतना पड़ा, दिल्ली मेट्रों भी इस बात का गवाह रहा है और दिल्ली मेट्रों को भी भी टोकन खो जाने की समस्या से जूझना पड़ा था.
आपको बता दें कि जिन यात्रियों के टोकन गुम हो जाते हैं तो उन्हें उसका हर्जाना भरना पड़ता है लेकिन कई बार शरारती लोग और कई शातिर यात्री चालाकी से मेट्रो के टोकन को अपने साथ ही ले जाते हैं. अभी तक मेट्रों के 1.74 लाख टोकन गायब हो चुके हैं और जानकारी सामने आयी है कि साल 2011 से अभी तक 10,739 यात्रियों के टोकन खो गए थे जिसमे से हर्जाने के तौर पर 8,62,328 रुपये बेंगलूरु मेट्रों ने वसूल भी कर लिए हैं, लेकिन फिर भी बेंगलूरु मेट्रो को अब तक 1,67,320 टोकन के पैसे मेट्रों वसूल नहीं कर सका. इसका मतलब यह है कि इतने टोकन यात्री याद के तौर पर अपने ही साथ ले गए हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे संभव है कि जब टोकन से एंट्री मिलती है और एग्जिट करने के लिए टोकन को डालना पड़ता है, फिर कोई कैसे टोकन अपने साथ ले जा सकता है. तो इसका जवाब है कि जब कुछ शरारती लोग टोकन खरीदते हैं तो वे एक साथ दो टोकन खरीद लेते हैं और इनमे से एक टोकन का इस्तेमाल वे एंट्री और एग्जिट के लिए करते हैं और एक टोकन को वे अपने साथ याद के तौर पर रख लेते हैं. कई बार कॉलेज में पढ़ने वाले शरारती स्टूडेंट्स या ग्रुप में आने-जाने वाले लोग ग्रुप में ही एग्जिट हो जाते हैं और बचे टोकन अपने साथ ले जाते हैं. मेट्रों ने टोकन गुम हो जाने पर 200 रूपये हर्जाने के तौर पर वसूलना शुरू कर दिया है और इस चोरी को रोकने के लिए भी कई प्रयास कर रही है लेकिन अभी भी टोकन के चोरी होने की वारदात रुकने का नाम नहीं ले रही. अभी भी लोग टोकन की चोरी कर रहे हैं और टोकनों को अपने साथ ले जा कर सरकारी संपत्ति को घटा दे रहे हैं.
वजन होगा भारी, तो नहीं कर पाएंगे मेट्रो की सवारी
दिल्ली मेट्रो में नौकरी का शानदार मौका, 45 हजार रु होगा वेतन