देश में राजनीतिक सरगर्मियां के चलते आगामी दिनों में पश्चिम बंगाल में राज्यसभा की 5 सीटों पर चुनाव होने है, जिनमे ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी 4 सीटें पर प्रबल दावे दर के रूप में देखी जा सकती है इसका कारण है कि 294 राज्यसभा सदस्यों में से तृणमूल कांग्रेस पार्टी के 212 विधायक हैं वही कांग्रेस के पास कांग्रेस के पास 42 विधायक हैं. इन समीकरणों को देखते हुए 59 की संख्या छूने के लिए कांग्रेस को 17 अन्य विधायकों का समर्थन आवश्यक है, जो उसको मार्क्सवादी पार्टी से मिलने की उम्मीद पुरी पुरी उम्मीद है.
मार्क्सवादी पार्टी के पास इस वक़्त 26 विधायक हैं और इन सब के अलावा 11 अन्य ऐसे विहायक भी है जो किसी के बंधन में नहीं है इसे हम आजाद विधायक कह सकते है जिनके सहारे भी कांग्रेस का काम फ़िलहाल चल सकता है. मगर मुद्दा यह है कि कांग्रेस और मार्क्सवादी पार्टी के संबंध कुछ मुद्दों को लेकर कुछ समय से ठीक नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि संबंध में कोई गहरी दरार पड़ गई है.
आगामी चुनावो को देखते हुए कांग्रेस ममता से भी हाथ मिलाकर रखना चाहती है. ऐसे में राज्यसभा सीट जीतने के कांग्रेस किसका समर्थन लेगी ये एक बड़ा सवाल है. ममता बनर्जी के साथ जाने के पहले ममता की शर्ते और समझौते पर कांग्रेस की नज़र है, फ़िलहाल पशोपेश जारी है.
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