साईं के ये वचन किसी अमृत वाणी से कम नहीं

साईं के ये वचन किसी अमृत वाणी से कम नहीं
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सबके दुखो को हरने वाले शीर्डी के सांई बाबा आज भी लोगों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. जो भी भक्त साईं के दरबार में जाता है उसकी झोली जरूरी भरती है. गुरूवार का दिन साई का दिन होता है इस दिन पूरी श्रृध्दा भक्ति से अगर साई बाबा की अर्चना की जाए तो निश्चित ही साई बाबा सारी मनोकामना पूरी करते हैं. मानव जीवन को सरल और सहज बनाने के लिए साईं बाबा ने अपने विचार भी लोगों तक पहुंचाये है. अगर जिस भी व्यक्ति ने ये विचार अपना लिये वे निश्चित ही सफलता को हांसिल कर लेगा, हर प्रकार की परेशानीयों से वह मुक्त हो जाएगा. तो चलिए देखते हैं कि साई बाबा के वे कौन से अनलमोल वचन हैं.

1. जिस तरह कीड़ा कपड़े को कुतरता है, उसी तरह इर्ष्या मनुष्य को
2. क्रोध मुर्खता से शुरू होता है और पश्च्याताप पर ख़त्म होता है
3. नम्रता से देवता भी मनुष्य के वश में आ जाते है
4. सम्पन्नता मित्रता बढ़ाती है और विपदा उनकी परख करती है
5. एक बार निकले बोल वापस नहीं आते, अतः सोच समझ के बोलें
6. तलवार की चोट इतनी तेज नहीं होती है जितनी की जिव्हा की
7. धीरज के सामने भयंकर संकट भी धूएं के बादल की तरह उड़ जाते है
8. तीन सच्चे मित्र हैं – बूढ़ी पत्नी, पुराना कुत्ता और पास का धन
9. मनुष्य के तीन सद्गुण -आशा, विश्वास और दान
10. घर में मेल होना पृथ्वी पर स्वर्ग होने के समान है
11. मनुष्य की महत्ता उसके कपड़ो से नही वरन उसके आचरण से होती है
12. दूसरों के हित के लिए अपना सुख त्याग करना ही सच्ची सेवा है
13. भूत से प्रेरणा ले कर वर्त्तमान में भविष्य का चिंतन करना चाहिए
14. जब तुम किसी की सेवा करो तो उसकी त्रुटियों को देख कर उससे घृणा नहीं करनी चाहिए
15. मनुष्य के रूप में परमात्मा सदा हमारे सामने होते हैं, उनकी सेवा करो
16. अँधा वो नहीं जिसकी आँखे नहीं है, अँधा वह है जो अपने दोषों को ढकता है
17. चिंता से रूप, बल और ज्ञान का नाश होता है
18. दूसरों को गिराने की कोशिश में तुम स्वयं गिर जाओगे
19. प्रेम मनुष्य को अपनी ओर खींचने वाला चुम्बक है
20. मेरे रहते डर कैसा?
21. मैं डगमगाता या हिलता नहीं हूँ.
22. यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा के लिए कोई भय नहीं होना चाहिए.
23. मेरा काम आशीर्वाद देना है.
24. मैं किसी पर क्रोधित नहीं होता. क्या माँ अपने बच्चों से नाराज हो सकती है ? क्या समुद्र अपना जल वापस नदियों में भेज सकता है ?
25. पूर्ण रूप से ईश्वर में समर्पित हो जाइये.
26. यदि तुम मुझे अपने विचारों और उद्देश्य की एकमात्र वस्तु रक्खोगे , तो तुम सर्वोच्च लक्ष्य प्राप्त करोगे.
27. अपने गुरु में पूर्ण रूप से विश्वास करें. यही साधना है.
28. हमारा कर्तव्य क्या है? ठीक से व्यवहार करना. ये काफी है.
29. मेरी दृष्टि हमेशा उनपर रहती है जो मुझे प्रेम करते हैं.
30. तुम जो भी करते हो, तुम चाहे जहाँ भी हो, हमेशा इस बात को याद रखो की ईश्वर तुम्हे देख रहा.

 

 

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