राजा बली बड़े पराक्रमी और दानी थे। भगवान के वे बड़े भक्त भी थे, लेकिन उन्हें बहुत ही घमंड था। तब भगवान के मन में राजा बली की परीक्षा लेने की सूझी और वामन अवतार लेकर उसके यज्ञ में पहुँच गए। जैसे ही वे राजा बली के यज्ञ स्थल पर गए, वे उनसे बहुत प्रभावित हुए और भगवान के आकर्षक रूप को देखते हुए उन्हें उचित स्थान दिया।
अंत में जब दान की बारी आई, तो राजा बली ने भगवान के वामन अवतार से दान माँगने के लिए कहा, तब उन्होंने राजा बली से राज्य में तीन पग जमीन माँग ली। तब राजा बली मुस्कुराए और बोले तीन पग जमीन तो बहुत छोटा-सा दान है। महाराज और कोई बड़ा दान माँग लीजिए पर भगवान के वामन अवतार ने उनसे तीन पग जमीन ही माँगी। तब राजा बली ने संकल्प के साथ उन्हें तीन पग जमीन दान में देने की घोषणा की।
इसके बाद भगवान दो पग में राजा बली के पूरे राज्य को नाप दिया, लेकिन तीसरे पग के लिए राजा बली के पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। तब भगवान ने बली से पूछा कि अपना तीसरा पग कहाँ रखूँ। तब राजा बली ने महादानी होने का परिचय देते हुए तीसरे पग के सामने अपने आपको समर्पित कर दिया। इस कथा के अनुसार हमें इस बात का ज्ञान रखना बहुत जरूरी है कि कभी-कभी लोगों का घमंड चूर करने के लिए भगवान को भी अवतार लेना पड़ता है। अत: हमें कभी भी धनवान होने का घमंड नहीं करना चाहिए।
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