महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आज समूचा ब्रह्माण्ड शिवमय हो जायेगा. वैसे भी बाबा बर्फानी इस पूरी सृष्टि के पालनहार, और संहारक है. इस शिवरात्रि पर ग्रहो नक्षत्रो के अनुसार एक ऐसा योग आया है जो पिछले 100 साल में नहीं आया. शिवरात्रि पर मंगलवार को 100 साल बाद प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि और त्रयोदशी तीनों का विशेष योग बन रहा है. इसमें भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से हर मनोकामना पूर्ण होगी.
सौ साल बाद आज प्रदोष व्रत, शिवरात्रि और त्रयोदशी का विशेष संयोग बन रहा है, यह संयोग मंगलवार देर रात 10:34 मिनट तक रहेगा. इसी काल में भगवान शिव को जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होगी, बुधवार को भी त्रयोदशी सुबह 8:04 बजे तक रहेगी. उस वक्त भी भगवान शिव को जल चढ़ाया जा सकता है, नारियल और गुड़ की भेली चढ़ाने की परंपरा भी है.
देश के साथ साथ विदेश में भी शिव भक्तों की कतारे शिवालयों पर होगी और हर शिवालय में शिवाराधनाए दिन भर गूंज रही होगी. इस भक्तिमय माहौल में हर भक्त आज अपने मन क्रम वचन से भोले बाबा को रिझाने का प्रयास करेगा. हिन्दू समाज के इस महापर्व में आज 100 साल बाद आये प्रदोष व्रत, महाशिवरात्रि और त्रयोदशी के अनूठे धार्मिक योग संयोग से भक्तों का मन और अधिक प्रफूल्लित हो गया है.
ज्योतिष के अनुसार महाशिवरात्रि पूजा और व्रत 13 तारीख को
अष्टभुजा शंकर की प्रतिमा इस मंदिर में है विराजमान
महाशिवरात्रि के पूजन में यह है निषेध