क्या आपने कभी धरती पर ब्रम्हलोक के बारे में सुना है. जी हाँ धरती पर एक ऐसी जगह है जिसे ब्रम्हलोक के नाम से जाना जाता है. गुंदेचा मंदिर को ब्रह्मलोक एवं जनकपुरी के नाम से संबोधित करते हैं. यह पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के नजदीक स्थित है. गुंदेचा मंदिर को ब्रह्मलोक इसलिए कि यहां देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमा का निर्माण किया था. रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ गुंदेचा मंदिर में कुछ समय बिताते हैं. भगवान के यहां आने पर भव्य धार्मिक आयोजन होता है.
गुंदेचा मंदिर से बाहर जनकपुरी में भगवान जगन्नाथ विन्दुतीर्थ के तट पर सात दिन तक निवास करते हैं. मान्यता है कि प्राचीन काल में उन्होंने राजा इंद्रद्युम को यह वर दिया था कि मैं तुम्हारे तीर्थ के किनारे प्रतिवर्ष निवास करुंगा. मेरे वहां स्थित रहने पर सभी तीर्थ उसमें निवास करेंगे. उस तीर्थ में विधिपूर्वक स्नान करके, जो लोग सात दिनों तक गुंदेचा मंडप में विराजमान में स्वयं, बलराम व सुभद्रा का दर्शन करेंगे और मेरी कृपा प्राप्त कर सकेंगे
गुंदेचा मंडप से रथ पर बैठकर दक्षिण दिशा की ओर आते हुए श्रीकृष्ण, बलभद्र और सुभद्राजी के जो दर्शन करता है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. धर्म ग्रंथों के अनुसार जो प्रतिदिन सुबह उठकर इस प्रसंग का पाठ करता है या सुनता है वह भी भगवान विष्णु की कृपा से गुंदेचा महोत्सव के फलस्वरूप वैकुण्ठधाम में स्थान पाता है.
यहाँ दर्शन करने से मिलती है भूत बाधा से मुक्ति