शादी में हो रहे विलम्ब से परेशान होने की अब जरुरत नहीं है, क्योंकि जो व्यक्ति अपनी शादी को लेकर परेशान है यदि वह मथुरा नगरी के श्री महालक्ष्मी जुड़ीवाली देवी के दर्शन करते है, तो जल्द ही उनके हाथ पीले होते है. यह मंदिर यमुना नदी के घाट पर लाल दरवाजा क्षेत्र में स्थित है. यहां जाने के लिए मथुरा का सबसे व्यस्त मार्ग चौक से होकर जाना पड़ता है. आईये जानते है इस मंदिर की विशेषता क्या है ?
यहां की पूजा सामग्री – इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि जो अविवाहित व्यक्ति यहां आकर माता के दर्शन करते है, उनका विवाह जल्द ही हो जाता है. इस मंदिर की पूजा सामग्री में दूध, कलावा, धनिया, रोली, अक्षत, दीपक व फूल माला के साथ दो जलेबी के जोड़े व दो केले जिसमे डंठल लगे होते है चढ़ाना जरूरी है.
मंदिर का इतिहास – लगभग सौ वर्ष पूर्व रघुनाथ जी को माता लक्ष्मी ने तीन स्वप्न दिए. उन्होंने पहले स्वप्न में कहा कि यमुना नदी के किनारे माता लक्ष्मी की मूर्ती मिट्टी में दबी है, जिसे निकालकर पूजा करें. दूसरे स्वप्न में माता ने कहा कि उन्हें सावधानी पूर्वक निकाला जाए ताकि उनकी मूर्ती खंडित न हो. और तीसरे स्वप्न में कहा कि उनके मंदिर का निर्माण उसी जगह पर किया जाए जहां से वह निकली है.
मनोकामना होती है पूर्ण – इस मंदिर की विशेषता है कि जो भक्त अपनी पूरी निष्ठा, श्रद्धा व भक्ति भाव से माता के दर्शन को आता है, माता उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करती है. इस मंदिर में सप्ताह के प्रत्येक गुरूवार और रविवार को विशेष पूजा की जाती है व प्रत्येक शुक्रवार को माता वैभव लक्ष्मी की पूजा पूरे भक्ति भाव से की जाती है. यहां जो भी अविवाहित भक्त पूरे भक्तिभाव से माता को जलेबी के जोड़े व केले के जोड़े अर्पित करता है जल्द ही उसका विवाह होता है.
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