प्राचीन समय से ही भारत में कई प्रकार के रीति-रिवाज व परम्पराओं का प्रचलन रहा है जिसमे हिन्दू धर्म में व्यक्ति के विवाह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए जब भी किसी का विवाह होता है तो उससे पूर्व कई चीजों का ध्यान रखा जाता है व विवाह के समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखकर पूरे विधि विधान के साथ विवाह को संपन्न कराया जाता है.
विवाह के बाद किसी स्त्री के लिए उसके मंगलसूत्र, बिछिया और सिन्दूर का बहुत महत्व होता है यह सभी चीजें उसके सुहाग की निशानी होती है. इन सभी चीजों में स्त्री के मांग में भरे सिन्दूर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार स्त्री के मांग का सिन्दूर उसके पति की आयु को दीर्घ बनाता है किन्तु यह यदि गलत प्रकार से मांग में भरा जाता है तो यह उसके पति के लिए दुर्भाग्य का कारण भी बन सकता है. तो आइये जानते है कि हमारे शास्त्रों में किसी विवाहित स्त्री को अपनी मांग में सिन्दूर भरते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
1. शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी विवाहित स्त्री को सिन्दूर अपनी मांग के बीचो बीच भरना चाहिए ऐसा करने से उसके पति को दीर्घायु प्राप्त होती है और किसी अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है.
2. वह स्त्रियां जो अपनी मांग के बीच वाले भाग को छोड़कर उसके बगल में सिन्दूर भरती है तो इससे उसके पति से दूरियां बढ़ती है और दोनों के बीच हमेशा विवाद की स्थिति बनी रहती है.
3. कई स्त्रियों की आदत होती है कि वह अपनी मांग के सिन्दूर को अपने बालों के बीच में छिपा लेती है इन स्त्रियों के पति को अपने कार्यक्षेत्र व समाज में मान-प्रतिष्ठा की हानि होती है.
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