नई दिल्ली: दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक दफा फिर शिक्षा सम्बन्धी शिकायतों को लेकर गंभीर कदम उठाये गए हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कल शुक्रवार को देश में स्थित सभी डीम्ड विश्वविद्यालयों पर नियामक प्राधिकारों की पूर्व मंजूरी के बिना 2018-19 सत्र से कोई भी दूरस्थ पाठ्यक्रम चलाने पर रोक लगा दी गई है. कोर्ट द्वारा इस प्रकार की व्यवस्था देने से देश के चार ड्रीम्ड विश्वविद्यालय में 2001-2005 सत्र के बाद से दूरस्थ शिक्षा के जरिए हजारों छात्रों को मिली इंजीनियरिंग की डिग्रियां भी रद्द कर दी गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन 4 शैक्षणिक संस्थानों को पिछली तारीख से मंजूरी देने के मामले में सीबीआई जांच कराने के आदेश भी दिए गए हैं. इस आदेश से प्रभावित होने वाले स्नातकों को अपनी डिग्री बचाना है, तो उन्हें अब एआईसीटीई की परीक्षा में बैठना अनिवार्य होगा. स्नातक अगर परीक्षा में सफल होते है, तो उनकी डिग्रियां बच सकती हैं. साथ ही यूनिवर्सिटीज को इन सभी छात्रों से वसूली गई फीस व अन्य खर्च को भी स्नातकों को वापस करना होगा.
न्यायालय द्वारा सभी डीम्ड यूनिवर्सिटीज को अगले शैक्षणिक सत्र से बिना सम्बंधित अथॉरिटी (यूजीसी, एआईसीटीई, डीइसी) से अनुमति के दूरस्थ शिक्षा के जरिए तकनीकी शिक्षा से जुड़े किसी भी कोर्स को चलाने पर पाबंदी लगा दी हैं. इसके तहत अब डीम्ड यूनिवर्सिटीज को हर प्रकार के कोर्स हेतु पृथक-पृथक परमिशन प्राप्त करना होगा. इसके अलावा न्यायालय द्वारा सभी ड्रीम्ड विश्वविद्यालयों को 1 माह के भीतर 'ड्रीम्ड यूनिवर्सिटीज' से यूनिवर्सिटी शब्द हटाने के आदेश भी दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की गाज इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, उदयपुर के जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, राजस्थान के इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज और तमिलनाडु के विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन पर गिरी हैं.
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