चुनावी गलियारों में आज भारी हलचल देखने को मिल रही है. आज त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में रुझानों की गिनती जारी है. ऐसे में सबसे बड़ा उलटफेर जो परिणाम में देखने को मिल रहा है, वह है त्रिपुरा के रिजल्ट. त्रिपुरा में आखिरकार लेफ्ट को सत्ता से हटाकर भाजपा काबिज होने जा रही है. यह खबर बड़ी इसलिए है कि, क्योंकि त्रिपुरा में पिछले 25 सालों से लेफ्ट की सरकार है.
आपको बता दें, त्रिपुरा के 2013 चुनाव में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, ऐसे में शुरूआती दौर में यह कयास लगाए जा रहे थे कि त्रिपुरा इस बार भी भाजपा कि झोली से बाहर है, लेकिन आखिरी समय में बीजेपी आलाकमान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रूप में स्टार प्रचारक को त्रिपुरा भेजा जिसके नतीजे अब सबके सामने है. योगी त्रिपुरा में स्टार प्रचारक थे, इसका एक बड़ा कारण यह था कि त्रिपुरा में नाथ संप्रदाय के मंदिर और अनुयायियों की संख्या काफी अधिक है.
आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो त्रिपुरा में पिछड़े वर्ग की आबादी करीब 30 प्रतिशत है. इसके अलावा भाजपा की रणनीति अन्य हिंदू समुदायों को अपनी तरफ खींचने की थी. इसमें बीजेपी कामयाब भी हुई. गौरतलब है कि त्रिपुरा में पिछड़ी जातियों के लिए कोटा नहीं है, इसलिए अनुयायी चाहते थे कि उन्हें पिछड़ी जाति का कोटा दिया जाए. नाथ संप्रदाय के इसी मुद्दे को लेकर बीजेपी ने त्रिपुरा में योगी को उतारने का बड़ा दांव खेला और सफल भी हुए
सुनील देवधर ने पहुंचाया त्रिपुरा में बीजेपी को शून्य से शिखर तक