उत्तर प्रदेश में योगी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने एक फैसले के तहत 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली दंगे में शामिल आरोपियों को अब आरोपों से और क़ानूनी पचड़ों से बाहर निकालने की कवायद तेज कर दी है. 131 मामलो में दर्ज इन आरोपों में मुख्य आरोपी के तौर पर भाजपा के विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा भी शामिल है, जिन पर कई गंभीर आरोप लगे है.
बता दें, 2013 में हुए इन दंगों में कुल 131 मामले दर्ज किए थे. इन मामलो में हत्या से लेकर हत्या की कोशिश तक शामिल है. 131 मामलो में 13 मामले हत्या के और 11 हत्या की कोशिश है. इन दंगों में कुल 63 लोगों की मौत हो गई थी और भारी मात्रा में लोगों ने राज्य से पलायन किया था. पलायन करने वालों की संख्या 50 हजार से भी अधिक है. योगी ने सभी अपराधियों को अपनी सत्ता का दुरूपयोग कर अपराध से मुक्त कर दिया है.
इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुजफ्फरनगर दंगे से जुड़े 131 मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होने पर इसे संविधान और आईपीसी का मजाक बताया है. उन्होंने कहा, 'वे संविधान और आईपीसी का मजाक बना रहे हैं. यह दंगे के शिकार लोगों के साथ क्रूर मजाक है. सरकार को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिनकी वजह से (मुजफ्फरनगर में) 50 हजार लोग शरणार्थी हो गए.
संविधान और आईपीसी का मजाक उड़ाया जा रहा है : ओवैसी
मुजफ्फरनगर दंगो के 131 केस वापस ले रही है योगी सरकार
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