दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि देश में अदालत के फैसले की वजह से दलित पिछड़ों को नुकसान हो रहा है. अदालत में दलित और पिछड़ों के प्रतिनिधित्व नहीं होने की वजह से कई तरह के फैसले आ रहे हैं, ऐसे में केंद्र सरकार पर इसका आरोप जड़ना गलत है. उन्होंने कहा कि सूबे में साल 2000 जैसे हालात बन गये हैं. समाज के एक वर्ग दूसरे वर्ग पर विश्वास नहीं कर रहा. मंगलवार को हाजीपुर में अपने साथ हुए दुर्व्यव्हार की घटना की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक दलितों और शोषितों को अधिकार नहीं मिलता तब तक उनके अधिकर की लड़ाई वाजिब है.
कुशवाहा ने कहा कि मेरे साथ कुछ लोगो ने बदसलूकी की तो उन्हीं में से कुछ लोग बात को समझ रहे थे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 2005 के पहले वाले हालात बिहार के किसी भी समाज के लिए अच्छी नहीं है. कुशवाहा ने कहा कि सवर्ण समाज में भी कुछ ही लोग इस तरह की स्थिति पैदा कर रहे हैं लेकिन ज्यादातर सवर्ण इस तरह के नहीं हैं.
कुशवाहा ने कहा कि देश में सन 2000 की स्थिति फिर से ना हो इसपर हम सभी को गंभीरता से सोचना होगा. उन्होंने कहा कि लोग सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नहीं बल्कि फैसले के खिलाफ हैं. उपेन्द्र ने कहा कि मंडल कमीशन लागू है लेकिन इसका फायदा 7 या 8 फीसदी ही हुआ है.
बिहार के इस गांव को पुलिस की जरुरत नहीं
जूनियर डॉक्टर की हड़ताल से मरीजों की फजीहत
बिहार पुलिस विभाग में भारी फेरबदल