आज इंसान ने काफी विकास कर लिया है जहाँ एक तरफ पृथ्वी से मंगल ग्रह तक छलांग लगा दी है तो वहीँ घातक बिमारियों का उपचार, सूक्ष्म जीवों तक पहुँच इतना ही नहीं वन्यजीवों के इलाज में भी सफलतापूर्व कामयाबी इंसान ने हांसिल कर ली है. वन्य जीवों के लिए गंभीर रूप से घायल होने का मतलब है, मौत. लेकिन स्पेन का जीआरईएफए वन्यजीव अस्पताल ऐसे जीवों को बचाता है. यहां चील, गिद्ध, कुछुए जैसे जीवों की फिजियोथेरिपी और मसाज तक की जाती है.
पशुओं की देखरेख
तस्वीर में नजर आ रही इस चील को कई चोटें आई है. लेकिन डॉक्टर इस लाल चील के पैर के दवा लगा रहे हैं ताकि घाव जल्द भर सकें. जख्म गोली की वजह से हुआ है. इन पक्षियों का ऐसे शिकार करना गैर कानूनी है लेकिन ऐसे मामले यहां आते रहते हैं. डॉक्टरों को उम्मीद है कि इलाज के बाद यह उड़ने के लिए एकदम फिट हो जाएगा और अपने पुराने तौर-तरीकों को जल्द अपना लेगा.
फिजियोथैरिपी की व्यवस्था
अस्पताल में इन पशुओं की जल्दी रिकवरी का एक कारण है यहां होने वाला फिजियोथैरेपी सेशन. जब उनके घाव भरते हैं, मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और ये चलने और उड़ने में स्वयं को कमजोर महसूस करने लगते हैं तब मसाज और स्ट्रेचिंग का सेशन इन्हें राहत देते हैं. हालांकि यह मसाज और स्ट्रेचिंग लाल चील के लिए बहुत सुकूनदायक तो नहीं होती लेकिन फिर भी ये इन्हें शांत रखता है. डॉक्टर्स बताते हैं कि यहां आने वाले 80 फीसदी जीव मानवीय कारणों के चलते यहां आए हैं. इनमें से कुछ शिकारियों का शिकार हो जाते हैं. लेकिन कई एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं. मसलन ये किसी कांच के दरवाजे से टकरा गए या कार के सामने आ गए. स्पेन में हर साल करीब 34 हजार पक्षी इसी तरह के टक्कर का शिकार होकर मर जाते हैं और कई अपाहिज हो जाते हैं.
अस्पताल में ये यूरोपीय और स्पेनिश कछुओं को अपना कमरा सभी प्रकार के कछुओं, सांपों और छिपकलियों और अन्य रेंगने वाले जीवों के साथ साझा करना पड़ता है. लेकिन यहां किसी को कोई समस्या नहीं है. सभी को अपनी निजी जगह भी मिलती है. लेकिन इनमें से अधिकतर शांत पड़े हैं. क्योंकि ज्यादातर कुपोषित है. लेकिन सर्दियों के बाद इन्हें सूरज की रोशनी का आनंद लेने की छूट मिलेगी और इन्हें तालाब में छोड़ा जाएगा.
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