मिली जानकारी के मुताबिक़ बताया जा रहा है की सर्वोच्च उपभोक्ता आयोग ने बिहार के एक विश्वविद्यालय को अनधिकृत रूप से’ बिना किसी मान्यता और सूचना के एमबीए कोर्स शुरू किया और फिर उसे बंद भी कर दिया इससे आवेदक को हुई समस्याओं को देखते हुए विश्वविद्यालय को दोषी बताया जा रहा है.विश्वविद्यालय को अब जुर्माना भी देना होगा,आवेदक को हुई समस्या और समय की बर्वादी को देखते हुए अधिक से अधिक मुआवजे देने की मांग की गई थी,
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है की राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने व्यक्ति को दिये जाने वाले मुआवजे की राशि को घटाकर 25,000 रुपये कर दिया. आयोग ने कहा कि कॉरेसपोंडेंस कोर्स होने के कारण नौकरी जाने की आशंका नहीं है. इससे पहले जिला उपभोक्ता फोरम ने आवेदक को साढ़े चार लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.
आवेदक अजय कुमार के द्वारा की गई अपील पर एनसीडीआरसी ने आदेश किया है.बताया जा रहा है की वर्ष 1998 में दरभंगा के एल एन मिथिला विश्वविद्यालय में डिस्टेंस मोड के एमबीए कोर्स के लिए आवेदन किया था लेकिन दो वर्ष बाद विश्वविद्यालय ने कोर्स को रद्द कर दिया.
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