नई दिल्ली: डकोटा विमान को भारतीय सेना में उसके अभूतपूर्व योगदान के लिए सदा याद किया जाता रहा है. डकोटा भारत के उन आयुधो मे से एक है जिन्होंने 1947 के भारत-पाक युद्ध में सबसे अहम् भूमिका अदा की थी. डकोटा एकबार फिर देश की सेना के बेड़े में शामिल होने जा रहा है.राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर के प्रयास और ब्रिटेन की मदद से इसे फिर से कबाड़ से निकाल कर जिन्दा किया गया है. अब डकोटा मार्च में फ्रांस, इटली, ग्रीस, मिस्र, ओमान से होते हुए भारत में जामनगर हवाई अड्डे पर अपनी पहली लेंडिंग करने के साथ ही उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर बेस से जुड़ेगा.
इस बारे में एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ का कहना है कि इसे 1930 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स के 12वें दस्ते में शामिल किया गया था, भारत-पाक के 1971 के युद्ध में भी इस विमान ने बांग्लादेश की मुक्ति में अहम भूमिका निभाई, ब्रिटेन ने इसे फिर से अत्याधुनिक स्वरूप प्रदान किया है, इसका नेवीगेशन सिस्टम आज के दौर के हिसाब से दोबारा तैयार किया गया है.
धनोआ का कहना है कि डगलस डीसी-3 एयरक्राफ्ट के नाम से भी मशहूर इस विमान ने युद्ध के दौरान साजोसामान को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, अब इसे परशुराम का नाम दिया गया है, इसे वीपी 905 के नाम से भी जाना जाएगा. राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि उन्हें यह विमान 2011 में मिला था, वायु सेना को इसे फिर से सुपुर्द करना बेहद सम्मान की बात है.
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