वैशाख माह के शुक्ल पक्ष के सप्तमी के दिन मां गंगा स्वर्गलोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी, गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है . कहा जाता है की यदि इस दिन गंगा नदी में स्नान किया जाता है तो मनुष्य के 10 तरह के पापो से मुक्ति मिलती है. इस दिन मां गंगा का पूजन और धयान किया जाता है। इस बार गंगा सप्तमी की यह तिथि 22 अप्रैल 2018, रविवार को आ रही है.
शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी गंगा में स्नान, पुण्यसलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है पर गंगा सप्तमी पर किया गया दान-पुण्य का अलग ही फल प्राप्त होता है .
वैसे तो इस संसार में माँ गंगा सी पवित्र कोई वस्तु नहीं पर गंगा सप्तमी के दिन गंगा-स्नान कर पूजन-अर्चन से मानव जीवन शुद्ध होता है और मोक्ष,रिद्धि-सिद्धि और यश-सम्मान की प्राप्ति होती है. जिससे मनुष्य को जीवन में समृद्धि भी आती है .
एक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने नारद मुनि, ब्रह्मदेव तथा भगवान विष्णु के समक्ष गाना गाया तो इस संगीत के प्रभाव से भगवान विष्णु का पसीना बहकर निकलने लगा, जिसे ब्रह्माजी ने उसे अपने कमंडल में भर लिया और इसी कमंडल के जल से गंगा का जन्म हुआ था.
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