दुनियां में अजीबो गरीब प्रकार कि समस्याएं आती रहती है जैसे किसी को धन कि अचानक कमी हो जाना, हर किसी से आये दिन विवाद होते रहना, किसी कि शादी में रुकावट तो किसी को अपने बच्चे कि चिंता, ऐसे ही अलग अलग प्रकार कि समस्याएं आती रहती है और इन समस्याओं का निवारण वास्तुशास्त्र के मुताबिक बताया गया है.
किराये पर घर देने वाले, घर के मालिक को उच्च स्थल वाले हिस्से में रहकर निम्न स्थल वाले हिस्से को ही देना चाहिए और यदि खुद किरायदार उस हिस्से को खाली कर दें तो तुरंत दूसरे किरायदार को वह हिस्सा रहने के लिए दे देना चाहिए, यदि उन्हें कोई भी किरायदार नहीं मिल रहा हो तो स्वयं घर के मालिक को ही उस हिस्से में रहना चाहिए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो जो उत्तरी दिशा में होगा उन्हें वह भार वाहक बनकर अनेक समस्याएं पैदा करेगा.
घर का पूर्वी दिशा में निर्माण हुआ हो तो घर में दरिद्रता आती है, चोरी अदालती विवाद और आग लगने का भय बना रहता है, यदि पूर्व में गृह गर्भ कि अपेक्षा चबूतरे ऊंचे हो तो अशांति, आर्थिक व्यय होगा और ऐसे घर का मालिक के ऊपर ढेर सारा कर्जा हो जायेगा.
पूर्व दिशा मे अगर चार दिवारी ऊंची हो तो संतान को हानि हो सकती है यदि उस घर में किरायेदार हो तो उन्हें विकृति का फल भोगना पड़ सकता है.
यदि घर का पूर्वदिशा का स्थल ऊंचा हो तो गृहस्वामी क्रूर और दरिद्र बन सकता है और ऐसे में उसकी संतान मंदबुद्धि और अस्वस्थ पैदा होगी.
पूर्व मुखी के लिए चार दिवारी ऊंची नहीं होनी चाहिए, घर के मुख्य द्वार के सामने रोड या फिQर गार्डन होना चाहिए.
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