शादी के बाद हर शादी शुदा स्त्री कि इच्छा होती है कि वह भी माँ बने लेकिन कभी-कभी देखा गया है कि कुछ स्त्रीयों के ग्रहों कि दशा ठीक न हो पाने के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इन्ही परेशानियों कि वजह से उन्हें कई प्रकार कि बीमारियाँ घेर लेती है और इन बीमारियों के चलते उन्हें कई बार गर्भपात भी हो जाता है तो आज हम कुछ ऐसे ही परेशानियों के बारे में बात करेंगे जिसको जानने के बाद आप इन परेशानियों से छुटकारा पा सकते है.
चंद्रमा स्त्री का प्रतिनिधि गृह होता है, यदि चन्द्रमा पाप गृह के प्रभाव में हो या बलहीन हो या द्वादश, अष्टम अथवा छठे भाव में हो तो स्त्री पर नकारात्मक ऊर्जा हावी रहती है और इस कारण उनके मानसिक संतुलन पर बुरा असर पड़ता है. कमजोर चन्द्रमा या अन्य ग्रहों द्वारा पीड़ित चन्द्रमा से गर्भवती स्त्री को मानसिक बीमारियाँ हो सकती है.
यदि चंद्रमा क्रूर और पाप ग्रहों जैसे शनि, मंगल, राहू या केतु से पीड़ित हो रहा हो तो स्त्री को पीरियड्स जैसी परेशानिया हो सकती है जिससे उनके गर्भपात में कई समस्याएं आती है.
यदि चन्द्रमा पर पाप एवं क्रूर ग्रहों कि द्रष्टि हो मंगल और शनि कि युति हो या एक-दुसरे पर द्रष्टि हो, षष्ठं भाव कमजोर हो तो ऐसे में स्त्रियों को किसी प्रकार कि भी बीमारियाँ हो सकती है.
यदि स्त्री कि कुंडली में पंचम भाव पर पाप और क्रूर ग्रहों की द्रष्टि और ग्रहों युति पर ध्यान देना चाहिए, यदि पांचवे भाव पर सूर्य, शनि, राहू, और केतु हो तो ऐसी स्थिति में स्त्री को गर्भ धारण में समस्या आ सकती है.
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