नई दिल्ली। एक तरफ देश में बढ़ती युवा शक्ति का हवाला दे कर भारत को दुनिया का युवा राष्ट्र कहा जाता है तो वही दूसरी और इसी महान देश के यही महान युवाँ आलस के शिकार बनते जा रहे है। लेकिन अब यह आलसी महज आदत न रह कर एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।
डब्ल्यूएचओ की हाल ही में आई एक रिपोर्ट में भारतीयों की आलस से जुड़े चौकाने वाले आकड़े सामने आये है। इन आंकड़ों के मुताबिक देश में 35 फीसदी से ज्यादा लोग शारीरिक श्रम और कसरत करने में आलस करते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक शारीरिक गतिविधियों न करने की वजह से लोगों में दिल की बीमारी के साथ-साथ कैंसर, मधुमेह और मानसिक रोगों तक के शिकार हो रहे है।
गौरतलब है कि रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी और लम्बे समय तक डेस्क जॉब करना भी इस समस्या का बड़ा कारण है। इसके साथ ही स्मार्ट फोन्स और इंटरनेट ने भी लोगों की जिंदगी में शारीरिक श्रम को काफी कम कर दिया है। डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट के मुताबिक विकसित देशो में शारीरिक श्रम कम करने वालों का की संख्या का आंकड़ा 37 फीसदी है,विकासशील देशों में 26 फीसदी और निम्न आय वाले देशों में यह आंकड़ा 16 फीसदी है।
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