दिन भर ऑफिस में कंप्यूटर पर काम करना, शारीरिक मेहनत में कमी, उठने-बैठने का गलत तरीका, एक मुद्रा में देर तक काम करना या गलत ढंग से व्यायाम करना कुछ ऐसे कारण हैं, जिनसे कंधे के दर्द की समस्याएं पैदा हो जाती हैं. कंधे के दर्द का सही इलाज तभी संभव है अगर हम इसके सही कारणों को समझ सकें. इसके इलाज के लिए एक्सरसाइज से लेकर सर्जरी तक की जरूरत पड़ सकती है.
1-हमारा कंधा तीन हड्डियों से बना है. ऊपरी बांह की हड्डी, कंधे की हड्डी और हंसली. ऊपरी बांह की हड्डी का शीर्ष कंधे के ब्लेड के एक गोल सॉकेट में फिट रहता है. यह सॉकेट ग्लेनोइड कहलाता है. मांसपेशियों और टेंडन्स का संयोजन बांह की हड्डी को कंधे के सॉकेट में केंद्रित रखता है. ये ऊतक रोटेटर कफ कहलाते हैं. वैसे तो कंधा खेल गतिविधियों और शारीरिक श्रम के दौरान आसानी से घायल हो जाता है,
लेकिन ज्यादातर कंधे की समस्याओं का प्राथमिक स्त्रोत रोटेटर कफ में पाये जाने वाले आसपास के कोमल ऊतक का उम्र के कारण प्राकृतिक रूप से बिगड़ना है. रोटेटर कफ में तकलीफ की स्थिति 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों में ज्यादा देखी जाती है. कंधे के अत्यधिक प्रयोग से उम्र की वजह से होने वाली गिरावट में तेजी आ सकती है.
2-पचास साल की उम्र के करीब 50 प्रतिशत लोगों के कंधे के एमआरआई स्कैन पर रोटेटर कफ के डिजनरेशन के प्रमाण देखे गए हैं. उम्र बढ़ने के साथ तकलीफ बढ़ती जाती है. इसका उपचार रोग की स्थिति पर निर्भर करता है. यदि इस रोग की शुरुआत है तो कंधे को आराम देने, हीट और कोल्ड थेरेपी, फिजियोथेरेपी, स्टेरॉयड के इंजेक्शन आदि से इलाज किया जाता है.
यदि रोग बढ़ जाता है तो रोटेटर कफ को ठीक करने के लिए ऑर्थोस्कोपिक आदि की आवश्यकता पड़ती है. यह समस्या लम्बे समय तक रहती है तो अर्थराइटिस यानी गठिया का रूप भी ले सकती है.