दिल्ली : 69 वें गणतंत्र दिवस पर भारत में 10 राष्ट्रों के अध्यक्षों को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर चूका है. मेहमान आ भी गए है. मगर एक गणतंत्र दिवस ऐसा भी था जब भारत ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अतिथि के रूप में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल को आमंत्रित किया था. दरअसल गणतंत्र दिवस 1950 से मनाया जा रह है ,मगर इससे लिए कोई आधिकारिक स्थान सुनिश्चित नहीं था. आखिरकार 1955 में राजपथ को गणतंत्र दिवस के आयोजन स्थल होने का गौरव प्राप्त हुआ. राजपथ को आधिकारिक स्थल का दर्जा मिला.
इसी साल भारत ने पाकिस्तान के तत्कालीन गवर्नर जनरल मलिक गुलाम अहमद को न्योता भी भेजा. इसी के साथ 26 जनवरी 1955 को गणतंत्र दिवस के समारोह में भारत को पहला आधिकारिक अतिथि भी मिला. इससे पहले साल 1950 में इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो, साल 1951 में भूटान के तत्कालीन राजा त्रिभुवन वीर विक्रम शाह ,1952 और 1953 में भारत की ओर से अतिथि आमंत्रित नहीं थे,1954 में भूटान नरेश दोर जी वानचुक गणतंत्र दिवस के अतिथि के रूप में भारत आये थे.
विडंबना है कि देश के इस राष्ट्रीय पर्व को आज की पीढ़ी अपेक्षित महत्त्व देने से बचती रही है. शहीदों के बलिदानो और हजारो क्रांतिकारियों के प्राणो की आहुति के बदले मिली आजादी और फिर घायल भारत माता के जख्मो पर मरहम के रूप में लगाने के लिए जो संविधान बनाया गया वो आज कही न कही अपनी गरिमा और गौरव को तरस रहा है. देश के राष्ट्रीय पर्व को सिर्फ एक आम दिन मान कर गुजार देने से नैतिक मूल्यों का हनन ही हो रहा है.
ऐतिहासिक गणतंत्र दिवस के लिए तैयार है देश
चीन की एक बड़ी कंपनी बांग्लादेश में ब्लैक लिस्टेड
पद्मावत पर भाजपा की हिंसा और नफरत में देश जल रहा है- राहुल गाँधी