दुर्घटना कई प्रकार कि होती है यह मानव जीवन में आये दिन घटित होते ही रहती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इसका कारण क्या हो सकता है? यह क्यों घटित होती है? इसके जवाब कि अगर बात करें, तो इस विषय में ज्योतिषशास्त्र का कहना है कि मानव जीवन में घटित होेने वाली दुर्घटना का संबध ब्रम्हाण्ड में फैले गृहों से है। इन्ही के दुष्प्रभाव से मानव जीवन में कई तरह कि घटनाएं घटित होते रहती हैं। तो चलिए जानते हैं किस प्रकार कि घटना के लिए कौन सा गृह जिम्मेदार है? और उस गृह को शांत करने के क्या उपाय हो सकते हैं?
वाहन दुर्घटना के लिए जिम्मेदार – शनि-राहु या शनि-मंगल के कारण वाहन दुर्घटनाएं घटती हैं। साढ़ेसाती या ढैया में भी ऐसा हो सकता है। इसमें लग्न के स्वामी के कमजोर होने पर शारीरिक नुकसान होता है।
उपाय – कुंडली में ऐसा योग हो तो राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। साढ़ेसाती या ढैया का प्रकोप हो तो बजरंग बाण पढ़ें। मारक दशा हो तो रुद्राभिषेक करवाएं।
आर्थिक दुर्घटनाओं – बुध खराब हो तो आर्थिक दुर्घटनाओं के योग बनते हैं। मंगल के कारण व्यक्ति एकदम से कर्जो में डूब जाता है। राहु का प्रभाव होने से व्यक्ति राजा से रंक हो जाता है।
उपाय – बुध खराब हो तो पन्ना कभी ना धारण करें। साथ ही रोजाना सहस्त्रनाम का पाठ करें। मंगल के कारण समस्या हो तो रोज हनुमान चालीसा पढ़ें। मांस-मदिरा का सेवन ना करें।
रिश्तों की दुर्घटना – चंद्रमा और शुक्र रिश्तों में आकस्मिक समस्याएं पैदा करते हैं। राहु इस समस्या में बढ़ोत्तरी कर देता है। मंगल के कारण रिश्तों में विस्फोटक दुर्घटना घट जाती है।
उपाय – कुंडली में जो गृह समस्या कारक है उसकी शांति कराएं। रोजाना सूर्य को जल चढ़ाएं। भगवान शिव और मां पार्वती की संयुक्त उपासना करें। हीरा सोच समझकर धारण करें।
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