पहले के ज़माने में ऋषि-मुनि, साधू-संत और तपस्वी जब पूजा करते थे या किसी कार्य की सिद्धि के लिए पूजा करते थे तो हिरण की खाल, गोबर का चोक, वाघ या चीता की खाल, लाल कंबल का प्रयोग किया करते थे. हमारे धर्मग्रन्थ इस बात को प्रमाणित करते है.
आज के समय में गोबर के चोक में बैठकर पूजा आदि करने का चलन ग्रामीण इलाको में देखने को मिलता है. आसन पर बैठकर पूजा करने से आपकी आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है.जब भी हम पूजा करने के लिए आसन बैठते हैं तो यह प्रक्रिया हमारे शिष्ठाचार और अनुशासन को दर्शाती है.आसन स्वयं में एक योग है. ऐसा करने से शरीर में स्थित विकार काफी हद तक खत्म हो जाते हैं.
वैज्ञानिक दृष्टि में भी आसन उतना ही महत्वपूर्ण है. आसन पर बैठने से आपके चेहरे की लालिमा बड़ती है. आसन कुचालक( जो विद्युत को समाहित न करे) होना चाहिए. अगर आप रोज़ आसन पर बैठकर पूजा करते हैं तो आपके चेहरे में आध्यात्मिक शक्तियों का समावेश होता है. इससे आँखों की बीमारिया दूर होती है.
बीमारियों से बचने के लिए करे महामृत्युंजय मंत्र.