ज्योतिष शास्त्र कहता है कि अगर एक ही साथ जन्मे दो व्यक्ति का एक साथ ही परवरिश, पढाई-लिखाई हो. फिर भी उसमें से एक व्यक्ति अच्छी पोस्ट में नौकरी तो दूसरा नौकरी के लिए परेशान हो. ऐसा कैसे हो सकता है? आज हम आपको बताएगे कि आखिर ऐसा क्य़ों होता है. और इसके पीछे की वजह क्या है?
1-इस बारें में ज्योतिषचार्य कहते है कि यह व्य़क्ति के लग्न चक्र सहित सभी ग्रह-नक्षत्र पूर्णतया एक ही होंगे तो फिर उनके जीवन का फलादेश भी एक ही होगा. लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है. तो फिर या तो ज्योतिष शास्त्र ही गलत मान्यताओं पर आधारित है या फिर इसकी कोई दूसरी पद्धति है.
2-वास्तव में जिस तरह हम किसी नदी में पत्थर मारते है तो उसमें लहरे बनती है जो कि एक खत्म होकर दूसरी बनती है. जब तक कि उसका असर यानी की ऊर्जा नहीं खत्म हो जाती है. इसी तरह हमारे कर्म का फल होता है. इसके अनुसार हमारे पूर्व जन्मों के कामों से ही हमें इस जन्म में फल मिलता है.
3-चाहे फिर वह जुड़वा बच्चें हो या फिर सब ग्रह और नक्षत्र भी समान हो. यह हमारे पूर्व जन्म के कर्मो पर निर्भर करता है. उसी से हमारे आने वाला कल निर्धारित होता है. अगर हमने अच्छे कर्म किे होगे तो फल अच्छा होगा और बुरे कर्म होगे तो उसी हिसाब से इस जन्म में भोगना होता है. इसी कारण कोई भी व्यक्ति का जन्म होते ही उसकी कुंडली किसी अच्छे पंडित या फिर ज्योतिष को दिखाई जाती है. जिससे कि पुराने कर्मों का फल इस जन्म में न सहना पड़े. उसका कोई उपाय निकाल लें और होने वाले बच्चे का भविष्य अच्छे से बीतें.
जिस घर में प्रेम है तो निश्चित ही वहां सफलता और वैभव है
लगन और साहस बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान है
सुख की माया के जाल से कोई नहीं बच सका
हर मनुष्य का एक ही शत्रु होता है और वो ये है..