प्रदूषण पर हंगामा है क्यों बरपा

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नई दिल्ली : चीन की राजधानी बीजिंग और भारत की राजधानी दिल्ली में लोगों को आजकल एक ही तरह की परेशानी से जूझना पड़ रहा है। दोनों शहरों में हवा की हालत एक जैसी ही है। स्वास्थ्य संबंधी पेरेशानियों, मसलन सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और कई अन्य तरह के शारीरिक कष्टों के कारण जहां बीजिंग में जहां रेड अलर्ट जारी किया गया है, वहीं दिल्ली में प्रदूषण कम करने के उपाय आजमाने की कोशिशें जारी हैं। बीजिंग और दिल्ली दोनों ही शहर तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण की मार से जूझ रहे हैं। चीन की राजधानी में अब तक का सबसे कारगर कदम उठाते हुए रेड अलर्ट जारी कर स्कूल एवं अन्य शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए हैं, औद्योगिक गतिविधियों को सीमित रखने के साथ-साथ उत्सर्जन मानकों को भी कड़ा किया गया है।

बड़े पैमाने पर बीजिग में एहतियाती कदम उठाने के बाद वहां प्रदूषण में सुधार के संकेत भी दिखने लगे हैं, लेकिन इसके ठीक उलट भारत की राजधानी दिल्ली में हालात बिगड़ रहे हैं। प्रदूषण के मामले में दिल्ली ने बीजिंग को बहुत पीछे छोड़ दिया है। दिल्ली में हवा इतनी जहरीली हो गई है कि स्कूली बच्चे मुंह पर मास्क लगाकर स्कूल जाने को मजबूर हैं। दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारियों के मामले बढ़े हैं। इतना ही नहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में अपनी टिप्पणी में दिल्ली में रहने को गैस चैंबर में रहने जैसा बताया है। इन सब तथ्यों के बीच दोनों देशों की इन राजधानियों में प्रदूषण के स्तर को मापे तो पता चलेगा कि बीजिंग के सर्वाधिक प्रदूषित शहर लियू लियानजिन का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 74 दर्ज किया गया है, जबकि भारत के सर्वाधिक प्रदूषित इलाके आनंद विहार का एक्यूआई 703 है यानी दिल्ली का प्रदूषण बीजिंग से लगभग नौ गुना अधिक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट से भी पता चलता है कि भारत में प्रतिवर्ष प्रदूषण जनित कारणों से लगभग 6,20,000 लोगों की मौत हो जाती है। प्रदूषण मापने का एक वैश्विक पैमाना है, जिसमें रंग और रेंज के जरिए प्रदूषण के स्तर को मापा जाता है। छह मानकों के आधार पर वायु की गुणवत्ता मापी जाती है। हवा में मौजूद प्रदूषण के सबसे छोटे कण पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 है, जिसका आकार 2.5 माइक्रोग्राम से भी कम होता है। ये कण आसानी से मुंह और नाक के जरिए शरीर में पहुंचकर बीमार बना देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूरोपीय संघ ने पीएम 2.5 प्रदूषण का स्तर प्रति घन मीटर 25 माइक्रोग्राम रखा है, लेकिन दिल्ली में इसका स्तर 200 प्रति घन मीटर से अधिक है, जिसे अत्यधिक घातक है। प्रदूषण के इस विकराल स्तर को कम करने के लिए दिल्ली भी तैयार है। भारी हंगामे और ऊहापोह के बीच दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक दिन सम और दूसरे दिन विषम नंबर वाली गाड़ियों के चलने गाड़ियां चलाने की योजना का ऐलान किया है। एक करोड़ 80 लाख की आबादी वाले इस शहर में यह योजना कैसे कारगर साबित होगी, यह हालांकि संदेहास्पद है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के सदस्य प्रकाश गुप्ता ने बताया, एक बस से दस कारों के बराबर प्रदूषण का उत्सर्जन होता है, ऐसे में सम-विषम फॉर्मूले से कार चलाने की योजना संदेहास्पद है।

सरकार कारों के आवागमन पर अंकुश लगा रही है और अधिक प्रदूषण फैलाने वाली बसों की संख्या बढ़ा रही है, इसका नतीजा क्या होगा बताने की जरूरत नहीं है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के सदस्य सचिव कुलानंद जोशी का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण चरम पर है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसे कम करने की दिशा में काम हुए हैं, उसका ही नतीजा है कि हाल के दिनों में इसमें थोड़ी बहुत ही सही गिरावट आई है। वह कहते हैं कि सम-विषम नंबर प्लेट फॉर्मूले से गाड़ी चलाने की योजना दिल्ली से पहले चीन, मेक्सिको सिटी और बोगोटा जैसे देशों में लागू की जा चुकी हैं, जिनके मिले-जुले परिणाम देखने को मिले हैं। जरूरी नहीं कि कोई योजना मेक्सिको सिटी में असफल रही तो वह दिल्ली में भी असफल ही रहेगी। दिल्ली सरकार के सम-विषम फॉर्मूले को देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर का समर्थन प्राप्त है। वह भी कार पूलिंग के लिए तैयार हैं।

दिल्ली सरकार स्कूलों में एयर प्यूरिफायर्स लगाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि स्कूली बच्चों को जहरीली हवा से बचाया जा सके। पर्यावरणविद् मुकुल पंत ने बताया कि स्कूलों में एयर प्यूरिफायर्स और मास्क के इस्तेमाल से समस्या हल नहीं होगी, जब तक कि इस दिशा में दीर्घावधि की योजनाएं नहीं बनतीं। रोहिणी के मदर डिवाइन स्कूल की कक्षा 12वीं की छात्रा दीपिका कहती हैं, हम दिनभर मास्क लगाकर नहीं रख सकते। प्रदूषण कम करने के लिए ठोस नीतियां बनें, दूरगामी योजनाएं बनाई जाएं बजाय इसके कि छात्रों को मास्क पहने पर मजबूर होना पड़े। राजधानी में प्रदूषण का स्तर कम रखने की दिशा में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली में डीजल की नई गाड़ियों के पंजीकरण पर रोक लगाने की बात कही है। एनजीटी ने केंद्र व राज्य सरकारों से अपने विभागों के लिए डीजल गाड़ियां नहीं खरीदने का सुझाव दिया है। दिल्ली में नए डीजल वाहनों के पंजीकरण पर रोक के एनजीटी के आदेश को दिल्ली के कार डीलरों ने चुनौती दी है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी के कार्यकारी निदेशक पवन गोयनका ने कहा कि प्रदूषण से सबको मिलकर लड़ना होगा, लेकिन इसके लिए डीजल वाहनों के पंजीकरण पर रोक लगाना सही नहीं है। आकड़े भी बताते हैं कि प्रदूषण फैलाने में डीजल गाड़ियों की अधिक भूमिका नहीं है। हालांकि, सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर) ने पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण घटने का दावा किया है। एसएएफएआर के मुख्य परियोजना वैज्ञानिक गुफरान बेग का कहना है कि पिछले दो-तीन दिनों में शरीर में प्रवेश करने वाले हानिकारक अतिसूक्ष्म कणों के स्तर में गिरावट आने से प्रदूषण का स्तर घटा है। हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में दो दोषियों पर प्रदूषण फैलाने के अपराध में 35 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की यह राशि प्रदूषण नियंत्रण समिति के पास जमा करने का निर्देश दिया है, ताकि इसका उपयोग प्रदूषण कम करने के काम में किया जा सके।

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