चेन्नई: शशिकला ने आज भारी हंगामे के बीच बेंगलुरु की परापन्ना जेल में आत्मसमर्पण कर दिया. कोर्ट की कानूनी कार्यवाही पूरी करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. जेल में शशिकला को कैदी नंबर 9435 के तौर पर पहचाना जाएगा जबकि उनके साथ जेल गई इलावारसी कैदी नंबर 9436 होंगी.
इससे पहले शशिकला जब सरेंडर करने पहुंची तो सुरक्षा कारणों से अदालत बैंगलुरु की सेंट्रल जेल के भीतर ही लगाई गई. शशिकला के वहां पहुंचने पर जज ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के ऑपरेटिव पोर्शन को पढ़ा. शशिकला ने कोर्ट को बताया कि उन्हें उनकी संरक्षक रही जयललिता की बैरक के पास वाली बैरक ही दी जाए.
जब शशिकला जेल पहुंचीं तो वहां अनियंत्रित भीड़ थी. भीड़ को हटाने और नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. शशिकला के जेल पहुंचते समय वहां उनके पति नटराजन और अन्य सहयोगी भी मौजूद थे. शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से चार साल की सजा सुनाई गई है.
वहीं इससे पहले शशिकला जयललिता की समाधि पर पहुंचीं और प्रार्थना की। श्रद्धांजलि देते हुए समाधि पर फूल चढ़ाए और माथा टेककर शपथ भी ली। जयललिता की समाधि के बाद शशिकला एमजीआर मेमोरियल पहुंचीं और वहां पर ध्यान लगाया।
कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नही
आपको बता दें कि जेल में शशिकला को कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा. उन्हें कोई अलग सेल भी नहीं दी जा रही है. जेल में वे दो अन्य महिलाओं के साथ एक सामान्य बैरक में रहेंगी. शशिकला के बैरक का नंबर 2 है. उन्हें पहनने के लिए तीन साड़ियां दी गई हैं.
एक दिन की मजदूरी 50 रुपए
आय से अधिक संपत्ति बनाने वाली शशिकला को अब जेल में कठिन श्रम करना पड़ेगा. बताया जा रहा है कि जेल प्रशासन उन्हें मोमबत्ती और अगरबत्ती बनाने का काम दे सकती है. जेल में उनकी एक दिन की कमाई होगी महज 50 रुपए. खास बात यह है कि उन्हें रविवार को भी कोई अवकाश नहीं मिलेगा.
जेल के बाहर तोड़फोड़
पुलिस के मुताबिक इस दौरान शशिकला के समर्थकों ने सेंट्रल जेल के पास काफी हंगामा किया. हंगामे में शशिकला के काफिले की चार कारें क्षतिग्रस्त भी हुईं.
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