वास्तु शास्त्र में दिशाओं को बहुत महत्वपूर्व माना जाता है जिसमे दक्षिण दिशा को किसी भी शुभ कार्य के लिए उचित नही समझा जाता है हमारे समाज में भी दक्षिण दिशा को अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दिशा में मृत्यु के देवता यम का वास होता है. यदि कोई व्यक्ति अपने भवन का निर्माण कराता है जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है तो उस दक्षिणमुखी भवन के निर्माण में कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होती है. दक्षिण दिशा के विषय में मान्यता है की इसका शुभ-अशुभ परिणाम स्त्रियों पर अधिक होता है. आइए जानते है दक्षिण दिशा से जुड़े विशेष तथ्य, जो इस दिशा के शुभ-अशुभ फल को दर्शाते है.
दक्षिणमुखी भवन
जब भी कोई व्यक्ति अपने मकान का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की तरफ करके बनवाता है तो वह दक्षिण मुखी हो जाता है. ऐसे मकान के निर्माण में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती है. किन्तु ऐसा नहीं है की दक्षिणमुखी मकान हमेशा ही अशुभ फल देता है यदि व्यक्ति कुछ बातों का का ध्यान रखता है तो यह माकान भी उसके लिए शुभ फलदायी होता है.
दक्षिणमुखी भवन के शुभ परिणाम
यदि किसी व्यक्ति अपना मकान दक्षिण मुखी बनवाना चाहता है तो उसे अपने मकान का दक्षिण का भाव ऊंचा बनवाना चाहिए इससे उसका दोष समाप्त होता है और उसमे निवास करने वाले स्वस्थ व सुखी रहते है.
यदि व्यक्ति अपने दक्षिण मुखी मकान में दक्षिण दिशा की भूमि को ऊंचा करके उसपर बेकार सामान रखता है तो यह भी शुभ फल देता है. यदि व्यक्ति के मकान के सभी दरवाजे दक्षिण मुखी होते है तो यह जीवन में सम्पन्नता लाते है.
अपने दक्षिण मुखी मकान में आपनी की व्यवस्था उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए और उसका बहाव बाहर की तरफ होना चाहिए जिससे धन लाभ होता है और इस घर में निवास करने वाली स्त्री हमेशा स्वस्थ रहती है.
दक्षिण मुखी मकान के अन्दर का पानी और बारिश का पानी उत्तर दिशा की ओर से बाहर निकलना चाहिए यदि ऐसा न हो तो इसे पूर्वी दिशा से बाहर निकालें. इससे घर के व्यक्ति को स्वस्थ लाभ प्राप्त होता है.
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