एक तरफ देश ख़ुशी से अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है, वहीं दूसरी ओर देश के 'नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों' ने बलात्कार पीड़िताओं के जो आकड़ें प्रस्तुत किए है, वह काफी चौकाने वाले है. बलात्कार एक हो या 10, यह देश के लिए दुर्भाग्य की बात है कि हम नारीवाद और बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं के नारे तो बुलंद करते है लेकिन वह सब कुछ सिर्फ हवाई बातें होती है. 2017 के रिकार्ड्स के अनुसार देश में प्रतिदिन 7 बलात्कार और 17 मोलेस्टेशन के केस आते थे, इन आकड़ों ने लापरवाह और लचर कानून व्यवस्था की छांव में जो बढ़ोतरी की है वो बड़े शर्म की बात है. 2018 के क्राइम ब्यूरों के आकड़े देश की भयानक सच्चाई को बयान करते है, इसके अनुसार अब प्रतिदिन 100 से ज्यादा रेप और मोलेस्टेशन के केस दर्ज होते है.
2015 का जुलाई का महीना था, अन्नपूर्णा हमेशा की तरह बकरियों को चराने के लिए घर से निकली थी, हमेशा की तरह गाँव के दबंग गणेश ठाकुर ने भी अन्नपूर्णा का पीछा किया. हमेशा की तरह छेड़छाड़ हुई, हमेशा की तरह देखने वाले तमाशबीन रोज की तरह इसे देखते रहे, लेकिन हमेशा की तरह जो दिन हमेशा आता है, शायद वो आज अपना रास्ता भटक गया था और अन्नपूर्णा की ज़िंदगी को कुछ ऐसे गहरे घावों से भर गया, जिसकी चीखें आज भी उन खेतों में गूंजती है, जहाँ अन्नपूर्णा के साथ बलात्कार हुआ था.
दरअसल आरोपी ने पहले अन्नपूर्णा से छेड़छाड़ की, उसके बाद जबरदस्ती उसे प्रताड़ित करने लगा. अन्नपूर्णा के विरोध करने के बाद आरोपी गणेश गुस्से में आकर उसका रेप करने लगा. कैसे करके खुद को बचाने के चक्कर में अन्नपूर्णा ने गणेश को धक्का दे दिया, जिसके चलते गणेश गुस्से से लाल पीला हो गया और अन्नपूर्णा का एक हाथ कुल्हाड़ी से अलग कर दिया. हिम्मत से लबरेज अन्नपूर्णा ने फिर भी हार नहीं मानी और अपना विरोध जारी रखा, नतीजतन उसे अपना एक पैर भी गंवाना पड़ा. रुंह कंपा देने वाली इस घटना में पीड़िता आज भी अपने एक पैर और एक हाथ के सहारे सिर्फ ज़िंदा नहीं है, बल्कि आसपास के गाँवों की लड़कियों को रेप और मोलेस्टेशन जैसे गंभीर मुद्दों पर जागरूक करती है और लड़कियों का हौंसला बढ़ाती है. विश्व अंतराष्ट्रीय दिवस पर सच्ची कहानी की इस नायिका को न्यूज़ ट्रैक दिल से सलाम करता है.